क्या आ चुकी है तीसरी कोरोना की लहर ? जानिए एक्सपर्ट से
नए साल की शुरूआत कोविड के लिहाज से अच्छी नहीं रही है। क्रिसमस और न्यू ईयर के जश्र के बाद भारत ने एक दिन में कोविड-19 संक्रमण के मामलों में लगभग 56 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। महीनों की राहत के बाद , एक नए कोविड वेरिएंट के उभरने और प्रतिबंध हटने के कारण संख्या लगातार बढ़ रही है। हालात ऐसे हैं, कि हफ्ते में देशभर में संक्रमण की दर में छह गुना वृद्धि हुई है। वर्तमान स्थिति को देखते हुए लोगों में तीसरी लहर का खौफ है, बता दें कि पिछले आठ दिनों में कोविड-19 मामले लगातार बढ़ रहे हैं।
मामलों की संख्या 1 जनवरी से 9 गुना बढ़ गई है। आंकड़ों के अनुसार महाराष्ट्र 18,446 से ज्यादा नए मामलों के साथ सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य है, इसके बाद पश्चिम बंगाल में 9,073 और दिल्ली में 5,481 मामले हैं। केरल और तमिलनाडु में भी 3,640 और 2,731 नए मामलों की पुष्टि के साथ चौथे और पांचवे स्थान पर है। इतना ही नहीं, पिछले एक सप्ताह में वायरस से मौतें भी हुई हैं। पंजाब, बिहार, हरियाणा , झारखंड और तेलांगना में भी संक्रमण के मामले दोगुने हो गए हैं। जानकर हैरत होगी, लेकिन दूसरी लहर की शुरूआत में भारत ने 60 हजार मामले दर्ज किए थे। ऐसे में अधिकारी मानते हैं कि अब कोरोना की तीसरी लहर की एंट्री भारत में हो चुकी है, जो बेहद डराने वाली है।
तीसरी लहर आ गई है, सुनामी के लिए तैयार रहें
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री संतेन्द्र जैन ने कहा है कि कोविड-19 महामारी की तीसरी लहर राजधानी दिल्ली में आ चुकी है। उन्होंने कहा है कि दिल्ली में एक दिन में 10 हजार नए मामले दर्ज होने की उम्मीद है। मुंबई के अलावा अन्य टीयर1 शहरों का भी यही हाल है। वहीं मुंबई पहले ही 89 प्रतिशत स्पर्शोन्मुख मामलों के साथ 10,860 संक्रमण के निशान को पार कर चुका है। इस मामले को देखते हुए मुंबई की मेयर किशोरी पेडनेकर ने कहा है कि भारत की वित्तीय राजधानी कोविड मामलों की सुनामी का सामना करने के लिए तैयार है।
इन दो वजहों से बढ़ रहे हैं कोविड के मामले
कोविड मामलों के बढऩे के दो मुख्य कारण माने जा रहे हैं। प्रतिबंधों में छूट और ओमिक्रॉन वेरिएंट। कोविड प्रतिंबधों में दी गई ढील के चलते लोगों की आवाजाही बढ़ गई है, जिससे सामाजिक दूरी घटी और कोविड मामलों में वृद्धि हुई है। इसके अलावा दक्षिण अफ्रीका में उभरा नया कोविड म्यूटेंट वेरिएंट भी मामलों में उछाल की बड़ी वजह है। वैसे तो ओमिक्रॉन वेरिएंट के लक्षण हल्के बताए जाते हैं, लेकिन ज्यादा संचरण दर के कारण यह डेल्टी के मुकाबले तेजी से फैल रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि डेल्टा वेरिएंट को बदलने के लिए ऑमिक्रॉन अपने आप में शक्तिशाली है।
श्वसन संक्रमण का भी दोहरा खतरा
तापमान में गिरावट के कारण इंफ्लुएंजा के रूप में श्वसन संक्रमण का भी दोहरा खतरा है। हमने हमेशा ही सर्दियों के दिनों फ्लू के मामलों में स्पाइक देखा है, लेकिन कोरोना महामारी के दौरान संक्रमण का खतरा डबल हो गया है, जिसने मामले को और भी जटिल बना दिया है। फ्लू के अलावा देश में डेल्टा वेरिएंट के कारण डेल्मीक्रॉन वेरिएंट का खतरा बढऩे की संभावना है। यूरोपीय देशों में मच रही तबाही के पीछे दो म्यूटेंट वेरिएंट का मेल माना जा रहा है। आने वाले सप्ताह में मामलों और मृत्यु दर में वृद्धि होने की उम्मीद दिखाई दे रही है। इसका कुल समाधान कोविड नॉर्म का पालन करते रहना है।
कोविड नियमों का पालन करना जरूरी
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ जेनेटिक एंड सोसायटी के डायरेक्टर राकेश मिश्रा के अनुसार, तीसरी लहर आ गई है। हालांकि, लोग अस्पताल में कम भर्ती हो रहे हैं और लक्षण स्पर्शोन्मुख हैं, लेकिन खतरा फिर भी मंडरा रहा है। अगर हम सही देखभाल नहीं करते, तो यह कुछ ही समय में वायरल हो सकता है। हमें मास्क पहनना चाहिए , दूरी बनाए रखनी चाहिए और हर कीमत पर भीड़-भाड़ से बचना चाहिए। फिलहाल सिस्टम को हराने का यही सही तरीका है।