इंदौरमध्य प्रदेश

स्वराज अमृत महोत्सव के अंतर्गत विक्रम ज्ञान मंदिर में चिकित्सक संगोष्ठी संपन्न

धार
स्वराज अमृत महोत्सव समिति ,धार द्वारा अमृत महोत्सव के निमित्त धार के चिकित्सक संगोष्ठी आयोजित कि गई जिसमे मुख्य वक्ता अंकित गजकेश्वर मौजूद रहे उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि  महान भारत वर्ष का इतिहास गुलामी का इतिहास कभी रहा ही नही बल्कि यह संघर्ष का इतिहास रहा। हमारे देश पर विश्व की कई जातियों ने अलग अलग उद्देश्यों को लेकर आक्रमण किए। सबसे पहले ईसा से 300 वर्ष पूर्व यवनों ने आक्रमण किया । जिस सिकन्दर ने दुनिया जीत ली थी उस सिकन्दर की सेना भारत के केवल सीमावर्ती राज्यो के पराक्रम से ही भयग्रस्त होकर भारत के अंदर प्रवेश करने के स्थान पर पुनः लौट गई। इसके पश्चात शक आए हुण आए मुगल आए अंग्रेज आए किन्तु वो कभी भी पूर्ण भारत वर्ष पर अपना आधिपत्य स्थापित न कर पाए । देश के विभिन्न हिस्सों से संघर्ष की अनवरत गाथा चलती ही रही । हमारा इतिहास ऐसे शूरवीर योद्धाओ की गौरव गाथाओं से भरा पड़ा है जिन्होंने भारत माता के लिए अपना सर्वस्व अर्पण किया यहाँ तक कि अपने प्राणों को भी आहूत किया।

आज जब हम स्वाधीनता की 75 वी वर्षगाँठ मना रहे है तो हम सबको यह संकल्प लेना चाहिए कि इस स्वाधीनता को पूर्ण स्वतंत्रता में शीघ्र परिवर्तित करें जिसमे हमारी भाषा, हमारी वेशभूषा, हमारे आचार, हमारे विचार सब कुछ भारतीयता से ओतप्रोत हो, हमारा हर एक नागरिक यह जाने की भारत आध्यात्मिक, वैज्ञानिक, सांस्कृतिक, भौगोलिक, आर्थिक और अन्य भी सभी विषयों में पूरे विश्व का प्रथम गुरु रहा । हमारी संस्कृत विश्व की सभी प्राचीन भाषाओ की जननी है हमारा आयुर्वेद विश्व की सभी चिकित्सा पद्धतियों का आधार है शून्य ओर दशमलव भारत ने विश्व को दिए है। ऐसे महान इतिहास पर हम सभी को गौरवान्वित होना चाहिए और माँ भारती को पुनः उस परमवैभव पर प्रतिष्ठित करने का संकल्प लेना चाहिए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ मितेश महाजन ने की। संचालन डॉ दिनेश कर्मा ओर आभार प्रदर्शन डॉ अशोक जैन ने किया। कार्यक्रम में धार नगर के IMA के अध्यक्ष डॉ संजय जोशी, NIMA के संरक्षक डॉ शरद विजयवर्गीय सचिव डॉ रमाकांत मुकुट, जिला आयुष चिकित्सा अधिकारी डॉ रमेश मुवेल , डेंटल एसोसिएशन के सचिव डॉ आशीष मिश्रा एवं धार के प्रबुद्ध चिकित्सक गण उपस्थित रहे। उक्त जानकारी स्वराज अमृत महोत्सव समिति के मीडिया प्रभारी ज्ञानेंद्र त्रिपाठी द्वारा दी गई।

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