भोपालमध्य प्रदेश

राजधानी में 1400 से अधिक स्थानों पर होंगे होलिका दहन

कोरोना के कारण दो वर्ष बाद सार्वजनिक स्थानों होंगे होलिका दहन

भोपाल । कोरोना के कारण बीते दो वर्षों रंगों के पर्व होली का उत्साह फीका रहा। इस बार कोरोना संक्रमण न के बराबर होने से राजधानी में होली का उत्साह दोगुना रहेगा। शहर के श्रीकृष्ण मंदिरों में शाम से लेकर देर रात तक होली उत्सव का आयोजन शुरू हो गए हैं। मंदिरों में फूलों व रंग-गुलाल से होली खेली जा रही है वहीं इस वर्ष होली दहन की तारीख को लेकर असमंजस की स्थिति बनी है। देशभर में जहां कुछ जगहों पर छह को होली का दहन की बात सामने आ रही है। कुछ जगहों पर सात मार्च को। दरअसल होलिका दहन हर साल फाल्गुन पूर्णिमा की तिथि में भद्रा रहित प्रदोष काल में होता है, लेकिन इस साल फाल्गुन पूर्णिमा की तिथि छह मार्च को शाम से शुरू होकर सात मार्च को शाम में खत्म हो रही है। वहीं भोपाल के अधिकांश पंडित व ज्योतिषाचार्य ने सात को होली का दहन व आठ मार्च को धुरेड़ी मनाने की बात की जा रही है।
होली पर्व को लेकर अलग-अलग समितियों की ओर से तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। कोटरा सुल्तानाबाद, कमला नगर, जहांगीराबाद चौराहा, नेहरू नगर चौराहा, जवाहर चौक, रेलवे स्टेशन के पास, कोलार, संत हिरदाराम नगर, भेल, मिसरोद, चांदबड़ हनुमान मंदिर के पास सहित 1400 से अधिक स्थानों पर होलिका दहन किया जाएगा। पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए गोकाष्ठ से होली का दहन करने का निर्णय लिया है। जिसको लेकर अधिक से अधिक समितिओं द्वारा अभी से गोकाष्ठ की बुकिंग कराई जा रही है। पंडित विष्णु राजौरिया ने बताया कि इस बार होलिका दहन उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र व शूल योग में होगा। इस साल होली का दहन को लेकर अलग-अलग पंचांग में अलग-अलग तिथि होने से भेद की स्थिति है। लेकिन इस साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि छह मार्च सोमवार को शाम 4:17 पर लग रही है, जो अगले दिन 7 मार्च मंगलवार को देर शाम तक रहेगी। ऐसे में मार्च को होलिका दहन का शुभ मुहूर्त शाम 06:24 से लेकर रात 08:51 तक है।

होली पूजन के लिए प्रदोष काल होता है सर्वश्रेष्ठ
पंडित रामजीवन दुबे ने बताया कि सात मार्च को भद्रा सुबह 5:15 बजे तक है। ऐसे में प्रदोष काल में होलिका दहन के समय भद्रा का साया नहीं रहेगा। सात मार्च को होलिका दहन का शुभ मुहुर्त शाम को करीब 6:27 से शुरू होगा। जोकि दो घंटे 27 मिनट का होगा। आचार्य प्रधान का कहना है कि धर्मशास्त्र में मान्यता है कि होली पूजन के लिए प्रदोष काल सर्वश्रेष्ठ है। इस बार उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र व शूल योग बन रहा है। इस विशिष्ट योग में परिवार की सुख शांति तथा संतान के दीघार्यु जीवन के लिए होलिका का पूजन करना शुभफल प्रदान करेगा।

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