पाठ्यक्रम में शामिल होगी जैविक खेती
ग्वालियर
केंद्र और राज्य सरकार ने इस साल प्रदेश में 99 हजार हेक्टेयर में जैविक खेती का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को पूरा करने में प्रदेश के दोनों कृषि विश्वविद्यालय (राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विवि ग्वालियर और जवाहरलाल नेहरू कृषि विवि जबलपुर ) सरकार का सहयोग करेंगे। इन विश्वविद्यालयों में 25-25 हेक्टेयर भूमि जैविक खेती के लिए आरक्षित की गई है। सरकार का मानना है कि इससे मध्य प्रदेश में खेती के क्षेत्र में बदलाव आएगा। जैविक खेती के विषय को भी कृषि पाठ्यक्रम में भी शामिल किया जाएगा। छात्रों को जैविक खेती के सैद्धांतिक और प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जैविक खेती को बढ़ावा देने की अपील कर चुके हैं। इसलिए राज्य सरकार रकबे में लगातार वृद्धि की कोशिश कर रही है। दोनों ही कृषि विश्वविद्यालयों में जैविक खेती कराने का निर्णय भी इसी रणनीति का हिस्सा है। इन विश्वविद्यालयों से 25-25 हेक्टेयर कृषि भूमि संबद्ध है। जिस पर अभी तक रासायनिक खाद का उपयोग कर फसल उगाई जाती थी, पर अब ऐसा नहीं होगा। इन क्षेत्रों में किसानों को लाकर जैविक खेती का प्रशिक्षण भी दिलाया जाएगा। सरकार ने तय किया है कि ये विश्वविद्यालय जैविक खेती कर किसानों के सामने अच्छा उदाहरण प्रस्तुत करेंगे, ताकि किसान भी जैविक खेती के लिए प्रेरित हों। जैविक खेती के दौरान विश्वविद्यालय नए प्रयोग भी करेंगे। जिसमें जैविक खाद की मदद से पैदावार बढ़ाने पर भी काम किया जाएगा। बता दें कि राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर से पांच कृषि महाविद्यालय और जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर से आठ महाविद्यालय संबद्ध हैं। जिन महाविद्यालयों से कृषि भूमि संबद्ध है, उनमें भी जैविक खेती पर काम किया जाएगा