भोपालमध्य प्रदेश

अश्वगंधा की खेती से विदिशा के पाली गांव को मिली विशिष्ट पहचान, एक किसान ने जगाई थी अलख

विदिशा  ।   प्रदेश में किसान इन दिनों पारंपरिक खेती को छोड़कर व्यावसायिक और आर्गेनिक खेती कर रहे हैं। इसका एक उदाहरण विदिशा जिले के नटेरन के पाली गांव के किसान लखनलाल पाठक हैं। उन्होंने अश्वगंधा की खेती करके गांव की समृद्धि के नए द्वार खोल दिए हैं। इनसे प्रभावित होकर यहां अन्य किसान भी अश्वगंधा की खेती करने लगे हैं। अब पाली गांव अश्वगंधा व अन्य औषधीय फसलों के उत्पादन में अपनी विशिष्ट पहचान बना चुका है। लखनलाल ने बताया कि 2013 में सीहोर के कृषि महाविद्यालय में प्रशिक्षण शिविर में 'आत्मा परियोजना" के बारे में जानकारी ली। अगले वर्ष से ही अश्वगंधा की खेती शुरू की। शुरू में मन में कई सवाल आए। अश्वगंधा के साथ सफेद मूसली, कलौंजी, हल्दी, सर्पगंधा जैसी औषधीय फसलों को लगाया। उन्होंने बताया कि एक बीघा जमीन में दो-तीन क्विंटल अश्वगंधा का उत्पादन होता है, जिसका मूल्य 35 से 40 हजार रुपये प्रति क्विंटल मिलता है। अब गांव के 70 से 80 प्रतिशत किसान अश्वगंधा की ही खेती कर रहे हैं। गांव में लगभग तीन सौ बीघा जमीन में औषधीय खेती हो रही है। उन्होंने बताया कि औषधियों के निर्माण और विक्रय के लिए आयुष विभाग से लाइसेंस लेकर कंपनी बनाई है। अब पास की तहसील शमशाबाद के किसान भी अश्वगंधा की खेती करने लगे हैं। इनका लक्ष्य 2025 तक शमशाबाद को औषधीय तहसील बनाने का है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button