मध्य प्रदेश

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने महाकाल लोक लोकार्पण के बाद जनसभा को किया संबोधित, ये हैं प्रमुख बातें

 उज्‍जैन ।  प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने मंगलवार को भगवान महाकाल के दर्शन और पूजा कर महाकाल लोक का लोकार्पण किया। उन्‍होंने कार्तिक चौक मैदान पर जनसभा को भी संबोधित किया। पढ़‍िये प्रधानमंत्री के संबोधन की प्रमुख बातें।अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने देशभर से आए साधुसंतों के साथ आम जनता का अभिवादन किया। इस नगर में स्‍वयं भगवान श्रीकृष्‍ण ने आकर शिक्षा ग्रहण की थी। उज्‍जैन के पलपल में इतिहास सिमटा हुआ है। कणकण में आध्‍यात्‍म समाया हुआ है और कोनेकोन में ईश्‍वरीय ऊर्जा संचालित होते हैं। उज्‍जैन में 84 शिवलिंग हैं। नवग्रह हैं। इस तीर्थ क्षेत्र के केंद्र में महाकाल विराजमान हैं।

मोदी बोले- महाकाल की नगरी भारत के केंद्र में है। यहां प्रलय भी कुछ नहीं कर पाता। इस नगरी के वास्तु, शिल्प आदि के दर्शन कालिदास की रचना मेघदूत में होते हैं। आजादी के अमृत काल में भारत ने गुलामी की मानसिकता से मुक्ति और अपनी विरासत पर गर्व जैसे पंचप्राण का आह्वान किया है। आज अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण पूरी गति से हो रहा है। काशी में विश्वनाथ धाम सांस्कृतिक गौरव बढ़ा रहा है। सोमनाथ, केदारनाथ में विकास के नए अध्याय लिखे जा रहे हैं। सोमनाथ, केदारनाथ, बदरीनाथ धाम में नवनिर्माण, अयोध्या में श्री राम मंदिर निर्माण तथा चारधाम निर्माण प्रोजेक्ट में ऑल वेदर रोड बन रही। भारत अपनी सांस्कृतिक व आध्यात्मिक चेतना के स्थलों का पुनर्निर्माण कर रहा है। जब हम उत्तर से दक्षिण तक, पूरब से पश्चिम तक अपने प्राचीन मंदिरों को देखते हैं, तो उनका सांस्कृतिक वैभव, उनकी विशालता व वैज्ञानिकता हमें आश्चर्य से भर देती है। महाकाल लोक अतीत के गौरव के साथ भविष्य के स्वागत के लिए तैयार हो गया है। हम उत्तर से दक्षिण, पूर्व से पश्चिम तक अपने प्राचीन मंदिर को देखते हैं तो उनकी विशालता, उनका वास्तु हमें आश्चर्य से भर देता है। यह भारत का अमृत महोत्सव का हाल है। इस अमृत काल में यह राष्ट्र अपनी सांस्कृतिक चेतना का पुनः आह्वान कर रहा है। महाकाल लोक में महाकाल दर्शन के साथ ही महाकाल की महिमा और महत्व के भी दर्शन होंगे। हमारे ऋषि-मुनियों, विद्वानों ने प्राचीन काल में बिना तकनीक और आधुनिकता के ही ऐसे विराट निर्माण कैसे किए होंगे, यह देखकर दुनिया चकित होती है। भारत के लिए धर्म का अर्थ है हमारे कर्तव्यों का सामूहिक संकल्प। हमारे संकल्पों का ध्येय है विश्व का कल्याण। मानव मात्र की सेवा। पिछले कुंभ मेले में यहां आने का स्वभाव मिला। बाबा महाकाल का बुलावा आया था। ये बेटा आए बिना कैसे रह सकता था। हमारे संकल्पाें का ध्येय है। विश्व का कल्याण, मानवमात्र की सेवा।

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