मध्य प्रदेश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सच ही कहा, सचमुच स्वाद की राजधानी है इंदौर

इंदौर ।    ‘इंदौर’ एक ऐसा शहर जो खानपान के मामले में कभी नहीं सोता। जायके का बाजार यहां रात में भी उतना ही गुलजार रहता है जितना उगते सूरज से दिन ढ़ले तक। चांद-सूरज भले ही बारी-बारी से आते हों लेकिन यहां के स्वाद के शौकिनों को कभी भी वक्त का मोहताज नहीं होना पड़ता। हर पहर यहां एक अलग जायके का परवान चढ़ता है जिसके स्वाद का जिक्र शहर ही नहीं देश-दुनिया में सुनाई देता है। चाय की चुस्की से लेकर मेवायुक्त शिकंजी तक जिसकी रगों में रचे बसे हैं उस शहर की फिजाओं में व्यंजनों की महक भी घुली-मिली है। कहीं गरमागरम नमकीन की चटपटी खुशबू बरबस ही रोक लेती है तो कहीं रबड़ी-मालपुए के ठिए राहगीरों को अपने पास ठहरने पर मजबूर कर देते हैं। राजनैतिक और व्यावासायिक राजधानी तो बेशक दुनियाभर में कई हैं लेकिन स्वाद की राजधानी तो देश के दिल में ही है इस दिल की धड़कन है इंदौरी का ‘जायका’। जिसकी तारीफ इंदौरी अपने मुंह से क्या करें देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित दुनियाभर से आए अतिथियों ने यहां के स्वाद को सिरमाथे पर बिठाया। दिन की शुरुआत जहां पोहे-जलेबी के नाश्ते से होती है वहीं दिन चढ़ते-चढ़ते कढ़ी-फाफड़ा दुकानों पर सज जाता है जो मध्यप्रदेश में गुजरात के होने का अहसास दिलाता है। गुजराती जायके का अंदाज यहां के विजय चाट हाउस का खोपरा पेटिस को इतना प्रसिदि्ध दिलाता है कि उसे विदेश तक निर्यात किया जाता है। मालवा का दाल-बाफला सुबह की दावत को खास बनाता है तो शाम होते-होते आलू, मटर, छोड़ (हरा चना), दाल की कचौरी, फलाहारी कचौरी के साथ आलू और केले के समोसे भी शाम की चाय का साथ देने दुकानों पर सज जाते हैं। रात होते-होते शहर का सराफा बजार स्वाद के सोने और नवाचार के सुहागे से सज जाता है। जहां जोशी दही बड़ा पर दही बड़े को दोने में रखकर उसे हवा में उछालकर लोगों के हाथों तक पहुंचाया जाता है तो अग्रवालजी का भुट्टे का किस अपने तीखे, खट्टे, मीठे और मखमली अंदाज से मुंह में घुल-मिल जाता है। सर्दी के मौसम में गराडू नींबू और जीरावन के साथ चटखारे लगवाता है तो साबूदाने की फलाहरी खिचड़ी चप्पे-चप्पे पर मिलकर व्रत को भी दावत में बदल देती है। सराफा बाजार, 56 दुकान, चाट गली, चिकमंगलूर चौराहा, मेघदूत चाट चौपाटी सहित शहर में ऐसे कई ठिए हैं जहां खानपान के शौकिनों की भीड़ लगी ही रहती है।

टनों में बनता है मिठाई और नमकीन

नमकीन का ही जिक्र किया जाए तो शहर में शहर में 400 से अधिक तरह का नमकीन और 200 से ज्यादा प्रकार की मिठाई बनती है। यहां हर दिन करीब 300 टन नमकीन और 100 टन मिठाई बनती है। इसकी खपत जितनी शहर में होती है उससे दोगुनी शहर के बाहर होती है। इस शहर की तासीर तो ऐसी है जनाब कि यहां आए मेहमान की खातिरदारी भी खानपान से होती है तो बीमार की तिमारदारी में भी व्यंजन का जिक्र ही शामिल हो जाता है। यहां आने वाले का दिन अगर स्वाद से बन जाता है तो रात भी जायके से सजकर ही नींद की गोद में जाती है। वास्तव में मोदी जी ने सच ही कहा… सचमुच स्वाद की राजधानी है इंदौर।

नवाचार ऐसा कि दुनिया है दीवानी

* दूध-दही के साथ मेवा-मिठ्ठान्न को मिलते हुए शिकंजी के दो स्वाद नागोरी और मधुरम स्वीट्स ने पेश किए।

* इसमें रबड़ी से ही बनने वाले मालपुए भी अपने अलहदा स्वाद और अंदाज के कारण खाए-खिलाए जाते हैं।

* बेसन और मसाले से बनने वाली सेंव में लौंग, हींग, लहसुन, पालक, टमाटर, दूध को प्रमुखता से मिलते हुए अलग-अलग तरह की सेव बनाई।

* तिब्बत का मोमोज में कुछ मसाले और मिलाते हुए उससे इंदौर के अनुरूप चटपटा बनाया।

* यूरोप का व्यंजन केप्सलान में कई मसाले और पनीर को मिलाकर अलहदा अंदाज दिया।

* पीजा भी तंदूर पर बनाया जाने लगा है और डोसा सिगड़ी पर आ गया।

* यहां की गजक में भी चाकलेट और सूखे मेवे मिलाए गए।

* रात में लगने वाले दूध के कढ़ाव में दूध में जड़ीबूटियां डालकर औषधीयुक्त भी बनाया।

* पोहे के साथ महाराष्ट्र का उसल मिलाकर उसल पोहा खाने की परंपरा शुरू की।

* आलू नहीं खाने वालों के लिए केले के समोसे बनाए जाने लगे।

गौरव है यहां का स्वाद

यह खुशी की बात है कि प्रधानमंत्री ने इंदौरी जायके की प्रशंसा की। शहर का गौरव है यहां का स्वाद और उसे खिलाने का अंदाज। शहर में सैकड़ों प्रकार के नमकीन और मिठाई बनती है जिसके दिवाने दुनियाभर में है। यहां की आब-ओ-हवा यहां के स्वाद को और भी निखारती है और शहर के आसपास पैदा होने वाला कच्चा माल उसमें इजाफा करता है।

– अनुराग बोथरा, सचिव इंदौर नमकीन मिठाई एसोसिएशन

पारिवारिक माहौल और शुद्धता का साथ

हमारे लिए यह खुशी की बात है कि यहां के स्वाद को प्रधानंमत्री मोदी जी ने और अन्य देशों से आए अतिथियों ने पसंद किया, प्रशंसा की। करीब 70 वर्ष पुराना खानपान का यह बाजार इसलिए खास है, क्योंकि यहां पारिवारिक माहौल और शुद्धता के साथ अपनेपन का अहसास है। शहर की अर्थव्यवस्था में यहां के खानपान का बाजार भी महती भूमिका निभाता है।

– रामजी गुप्ता, अध्यक्ष रात्रिकालीन सराफा चाट चौपाटी

तो स्वाद तो दुनिया में छाएगा ही

इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है कि इंदौरी व्यंजनों के स्वाद ने प्रधानमंत्री और अन्य देश के राष्ट्रपति को भी कायल कर दिया। स्वाद के मामले में जितना सजग इंदौर के रसोइये हैं उतने ही परखदार खाने के शौकीन भी हैं, इसलिए स्वाद से समझौते का कोई प्रश्न ही यहां नहीं उठता। नवाचार करने में कारीगर उस्ताद हैं तो उसे स्वीकारने में शौकीनों का जोड़ नहीं। ऐसे में स्वाद तो दुनिया में छाएगा ही।

– गुंजन शर्मा, अध्यक्ष 56 दुकान एसोसिएशन

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