सीहोर: धूमधाम से मनाया गया भुजरिया पर्व, छोटोें ने बड़ों से लिया आशीर्वाद
सीहोर। रक्षाबंधन एवं भुजरिया पर्व प्रदेशभर सहित सीहोर जिलेभर में भी धूमधाम सेे मनाया गया। भुजरिया के अवसर पर सीहोर, आष्टा, बुधनी, रेहटी सहित जिलेभर में कार्यक्रम आयोजित हुए। इस दौरान पारंपरिक रूप से जुलूस एवं चल समारोह निकला, जिसका जगह-जगह स्वागत-सत्कार भी हुआ। इस दौरान भुजरिया की पूजा हुई और इसके बाद भुजरियों की टोपलियां नदी में जाकर विसर्जित की गईं। इस दौरान भुजरियों कोे लूटा भी गया। यह एक परंपरा है, जो वर्षों से चली आ ही है। भुजरिया पर्व पर सबसेे पहले भगवान को भुजरिया देकर लोगोें ने उनसे आशीर्वाद लिया और उसके बाद एक-दूसरे को भुजरिया देने का सिलसिला शुरू हुआ। इस दौरान छोटों ने बड़ों को भुजरिया देकर उनसे आशीर्वाद भी प्राप्त किया।
आष्टा नगर में धूमधाम से निकला चल समारोह, हुआ स्वागत-सत्कार –
आष्टा नगर में रक्षाबंधन के दूसरे दिन भुजरिया पर्व मनाने की वर्षों पुरानी परंपरा बरकरार रही। इस पर्व को जहां एक ओर कुशवाहा समाज में जबरदस्त तैयारी कर मनाया जाता है, वही कुम्हार समाज के लोग भी इस त्यौहार को लेकर भव्य तैयारी करते हैं। इस दौरान जुलस में हर वर्ग और जाति के लोग शामिल होकर जुलूस की भव्यता बढाते हैं। भुजरिया पर्व के जुलूस में ढोल-नगाड़े, डीजे बैंड शामिल रहे। जिस पर लोकगीतों को गाकर हाथों में एक-एक डंडा लेकर चारों ओर घूम-घूम कर लोग नृत्य करते हैं, वहीं युवा डीजे व बैंड की धुनों पर थिरकते जा रहे थे। दूसरी ओर रंगबिरंगी पोशाकों में महिलाएं, युवतियां अपने सर पर भुजरिया की थाल लेकर गीत गाते चल रही थी। जुलस कुम्हार मोहल्ले से शुरू हुआ। दूसरा जुलूस काछीपूरा से शुरू हुआ। दोनों जुलस बुधवारा में एकसाथ शामिल होकर आगे पीछे चले, जिनका समाज के अनेकों संगठनों, राजनीतिक दलों के नेताओं व समाज सेवियों ने स्वागत-सत्कार किया। इस दौरान कैलाश परमार पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष मित्र मंडल, राजू जायसवाल समाजसेवी, विशाल चौरसिया पार्षद प्रतिनिध वार्ड 17, सकल समाज एवं हिन्दू उत्सव समिति के अध्यक्ष व नगरपालिका आष्टा इस स्वागत सत्कार में शामिल रहे। जुलूस का समापन स्थानीय मां पार्वती के तट पर आरती, पूजा करके किया गया। इसके बाद सभी लोगों ने एक-दूसरे को भुजरिया देकर क्षमा मांगते हुए भुजरिया की बधाई दी।
रेहटी, श्यामपुर में भी मनाया गया भुजरिया पर्व-
इधर सीहोर जिले की रेहटी, श्यामपुर तहसील सहित अन्य स्थानों पर भी भुजरिया का पर्व मनाया गया। रेहटी तहसील केे गांव-गांव में भुजरिया पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस दौरान पारंपरिक रूप से खेलते आ रहे डंडे खेले गए तो वहीं लोगों ने ऐसे घरोें में जाकर भुजरिए दिए, जिनके घरों में कोई निधन हो गया हो। श्यामपुर, दोराहा तहसील के गांवों में भी भुजरिया का पर्व परंपरानुसार मनाया गया। इस दौरान महिलाओं के भजन गाए।
बुधनी में भी भुजरिया पर्व श्रद्धा के साथ मना –
रक्षाबंधन के अगले दिन मनाया जाने वाला भुजरिया (कजलिया) पर्व नगर में भी हर्षोल्लास के साथ मनाया गया, जिसमें बुधनी घाट पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओ ने नर्मदा नदी में स्नान करवाकर भगवान को अर्पित कर एक दूसरे को भुजरिया प्रदान की। भुजरिया पर्व का मालवा, बुंदेलखंड और महाकौशल क्षेत्र में विशेष महत्व माना गया है। इसके लिए घरों में करीब एक सप्ताह पूर्व भुजरियां बोई जाती हैं। इस दिन भुजरियों को कुओं, ताल-तलैयों आदि पर जाकर निकालकर सर्व प्रथम भगवान को भेंट किया जाता है। इसके बाद लोग एक दूसरे से भुजरिया बदलकर अपनी भूल-चूक भुलाकर गले मिलते हैं।