इंदौरमध्य प्रदेश

जवारे बोने के साथ शुरू होगा गणगौर का उल्लास

ओंकारेश्वर ।  निमाड़ में गणगौर पर्व की तैयारी शुरू हो गई है। 17 मार्च से शुरू होने वाले दस दिवसीय लोक आस्था के इस उत्सव के दौरान अंचलों में झालरिया गूंजेंगे। आस्था,उत्साह और उमंग के साथ निमाड़ में गणगौर पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। परंपरा अनुसार दो दिन बाड़ी में जवारे बोए जाएंगे। ओंकारेश्वर में गणगौर माता का पीहर होने के कारण समूचे निर्माण से एक दिन पूर्व 17 मार्च को गणगौर माता के जवारे बाड़ी स्थान पर बोए जाएंगे। इस वर्ष तिथि घटवाड़ होने के कारण सभी स्थानों पर लगभग कृष्ण पक्ष की दशमीं शुक्रवार को गणगौर के जवारे बोए जाएंगे।

माता के झलारिया गीत गाएंगी महिलाएं

धार्मिक आयोजन को लेकर मांधाता राज परिवार के पुरोहित पंडित रामचंद्र परसाई ने बताया कि ओंकारेश्वर में विष्णुपुरी क्षेत्र में पंड़ित अक्षत ललित दुबे और शिवपुरी में पंड़ित रमेश परसाई, ब्रम्हपुरी क्षेत्र में गजानंद गिरी के निवास पर चैत्र कृष्ण दशमी (17 मार्च) को जवारे बोने के लिए छोटी-छोटी टोकनियां लेकर बाड़ी स्थान पर पहुंचेंगे। जो श्रद्धालु रथों का शृंगार नहीं करेंगे। वह मन्नत अनुसार चांदी की छोटी टोकनी पुजारियों के यहां लेकर पहुंचेंगे। सात दिनों तक तीनों स्थानों पर माता के झालरिया गीत गाने महिलाएं पहुंचेगी।

26 मार्च को होगा जवारों का विसर्जन

पंडित पुजारियों द्वारा गणगौर माता के जवारों की सेवा-पूजा के बाद 24 मार्च को बाड़ी सभी भक्तों के पूजन के लिए खोली जाएगी। दिनभर पूजन का सिलसिला चलेगा। निमाड़ के लोकगीत भजन-कीर्तन गाते ढोल धमाके के साथ दोपहर तीन बजे बाड़ी स्थानों से माथे पर रथों को महिला-पुरुष जवारे लेने बाड़ी स्थानों पर पंडितों के यहां जाएंगे। 25 मार्च को गणगौर माता के भक्त अपने-अपने घर से नर्मदा तट पर पहुंचेंगे। परंपरागत अनुसार गणगौर माता को मन्नत अनुसार एक दिन के लिए बोढ़ा कर भक्त वापस अपने-अपने सिर पर रथों को रखकर बोढ़ाने वाले के यहां जाएंगे। जहां रात्रि में भजन व नृत्य और पूजन के बाद 26 मार्च को शाम प्रसादी भंडारे के बाद नर्मदा में जवारों का विसर्जन होगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button