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चंडीगढ़ प्रशासन का बुलडोजर हाई कोर्ट ने रोका; इन 3 कालोनियों को ढहाने से पहले देना होगा जवाब

चंडीगढ़
चंडीगढ़ प्रशासन का बुलडोजर अब थम गया है। ऐसे में शहर की स्लम कालोनियों के लोग फिलहाल राहत में हैं। प्रशासन ने कई कालोनियों को गिराने के नोटिस बोर्ड कालोनियों के बाहर लगा रखे थे, लेकिन पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के दखल ने इन कालोनी वासियों को थोड़ी देर के लिए ही सही लेकिन राहत दिलाई है। पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने कई कालोनियों को तोड़ने पर अगले आदेशों तक रोक लगा दी है। इससे प्रशासन के स्लम फ्री सिटी मिशन को भी कहीं न कहीं झटका लगा है। जिस गति से प्रशासन ने कालोनियों को हटाना शुरू किया था उससे छह महीने का लक्षय शहर को स्लम फ्री बनाने का रखा गया था। अब यह समय सीमा आगे बढ़ेगी। अब कार्रवाई कानूनी पेचदगियों से निपटने के बाद ही होगी।

सबसे पहले सेक्टर-25 की जनता कालोनी को हटाने पर रोक लगी। इस कालोनी के कुछ रेजिडेंट्स ने वकील के माध्यम से कोर्ट में अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा था कि प्रशासन ने बिना उनके पुनर्वास की व्यवस्था किए उनकी झुग्गियों या मकानों को हटाने के नोटिस दिए हैं। इसके बाद इसी तर्ज पर सेक्टर-38 के साथ लगते गांव शाहपुर में एग्रीकल्चर लैंड पर हुए अवैध निर्माण को गिराने का मामला भी कोर्ट पहुंच गया। कोर्ट ने यहां भी इसे हटाने के आदेशों पर रोक लगाते हुए प्रशासन से जवाब मांग लिया। तीसरी बड़ी कालोनी इंडस्ट्रियल एरिया फेज-1 की संजय कालोनी है। इसे हटाने का नोटिस दिया गया था। प्रशासन ने इसे गिराने की सभी तैयारियां कर ली थी, लेकिन कोर्ट ने इसे हटाने पर भी रोक लगा है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन कोर्ट में क्या जवाब देता है। उसके बाद ही स्लम फ्री सिटी अभियान आगे बढ़ पाएगा। हाई कोर्ट की दस्तक ने अभी प्रशासन की प्लानिंग को झटका तो दिया ही है।

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