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CJI बोले- देश के बाहर और भीतर लोगों ने की Covaxin को बदनाम करने की कोशिश, WHO से हुई शिकायत

हैदराबाद
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एन.वी. रमण  ने कहा है कि कई बहु-राष्ट्रीय कंपनियों ने मेड इन इंडिया वैक्सीन – Covaxin को WHO की अनुमति ना मिले, इसकी बहुत कोशिश की. सीजेआई ने गुरुवार को तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में आयोजित कार्यक्रम में यह बात कही. सीजेआई ने कहा, ‘कई बहु-राष्ट्रीय कंपनियों, जैसे फाइजर, और दूसरी ओर, भारत के भीतर के लोगों ने, कोवैक्सीन को बदनाम करने के लिए अनुचित प्रयास किए. उन्होंने WHO से भी शिकायत की और मेड-इन-इंडिया वैक्सीन को मान्यता देने से रोकने की कोशिश की थी.’

CJI ने भारत बायोटेक के कोविड-रोधी टीके ‘कोवैक्सीन’ और इसके निर्माण के लिये कंपनी के प्रयासों की सराहना की. उन्होंने कहा कि एक ओर विभिन्न अध्ययनों में कहा गया है कि स्वदेशी रूप से निर्मित कोवैक्सीन प्रभावी है, तो कई लोगों ने इसकी इसलिये आलोचना की, क्योंकि इसे देश में बनाया गया था. कुछ ने इसके खिलाफ डब्ल्यूएचओ से शिकायत की थी.
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 तेलुगु लोगों को कम आंकने की प्रवृत्ति- CJI
उन्होंने कहा कि साथी तेलुगु लोगों की महानता को उजागर करने की आवश्यकता है. सीजेआई ने कहा- ‘टीका निर्माता कंपनी भारत बायोटेक के प्रबंध निदेशक कृष्णा एला और उनकी पत्नी सुचित्रा ने इस मुकाम पर आने के लिए बहुत संघर्ष किया. आज उन्होंने देश को प्रसिद्धि दिलाई.’ CJI ने पुरस्कार समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि तेलुगु भाषी लोगों में अपनी महान उपलब्धियों के बावजूद साथी तेलुगु लोगों को कम आंकने की प्रवृत्ति है.

उन्होंने कहा कि इस तरह की प्रथा या ‘गुलामी की मानसिकता’ को त्याग दिया जाना चाहिए. उन्होंने मां, मातृभाषा और मातृभूमि के सम्मान की परंपरा को जारी रखने पर जोर दिया और तेलुगु भाषा को बढ़ावा देने के प्रयासों का आह्वान किया.

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