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दिल्ली हाईकोर्ट बोला – अगर सैनिक फार्म में अवैध निर्माण है तो बुल्डोजर से ध्वस्त कर दीजिए, हम कुछ नहीं कहेंगे

नई दिल्ली
दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार द्वारा दक्षिणी दिल्ली के पॉश कॉलोनियों में से एक सैनिक फार्म कॉलोनी में मौजूदा इमारतों के मरम्मत कार्य करने पर प्रतिबंध लगाए जाने पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि 'यदि कुछ इमारतें गिर जाएं और लोग मर जाएं, तो कौन जिम्मेदार होगा? बेंच ने कहा कि कुछ तंत्र होना चाहिए जो यह निर्धारित कर सके कि क्या कोई संपत्ति इतनी जर्जर हालात में है कि वह गिर सकती है।'

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला की बेंच ने सरकार को सैनिक फार्म में मरम्मत कार्य करने की अनुमति देने की मांग पर विचार करने का निर्देश देते हुए यह टिप्पणी की है। बेंच ने सरकार से कहा कि आप सैनिक फार्म में अपनी टीम भेजें, इसका सर्वे करें ताकि कुछ इमारतों में मरम्मत कार्य की अनुमति दी जा सके। इस पर केंद्र सरकार की ओर से पेश हुई अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि कहा कि सैनिक फार्म में इमारतें अवैध रूप से निर्मित हैं। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि यदि कल वहां कुछ होता है या इमारतें गिर जाती हैं तो आपके पास इसका क्या जवाब होगा? बेंच ने कहा कि आप (सरकार) चीजों को इस स्थिति में नहीं छोड़ सकते, आपको निर्णय लेना होगा।

हाईकोर्ट ने कहा कि हम आपसे यह नहीं कह रहे हैं कि क्या निर्णय लेना है, यह पूरी तरह से आपको करना है। बेंच ने सरकार से कहा कि ‘यदि आप कहते हैं कि सैनिक फार्म में अवैध निर्मित इमारते हैं तो आप अपने बुलडोजर ले जाइये और सब कुछ ध्वस्त कर दीजिए, हम कुछ नहीं कहेंगे… वहां हजारों घर बने हैं।’ हाईकोर्ट ने सरकार से कहा है कि व्यावहारिक तरीका यह है कि जैसे आपने दूसरों को नियमित किया है, सैनिक फार्म को भी नियमित करने के बारे में निर्णय लीजिए। इसके लिए जो कुछ भी आवश्यक है, उसे करें, हमें नहीं लगता कि किसी को इससे कोई समस्या होगी।

पिछली सुनवाई पर हाईकोर्ट ने सैनिक फार्म को नियमित किया जाना है या नहीं, इस बारे में स्पष्ट रुख नहीं अपनाए जाने पर कड़ी नाराजगी जाहिर की थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि जब सरकार पूरी दिल्ली में अनाधिकृत कॉलोनियों को नियमित कर रही है, ऐसे में सैनिक फार्म को अवैध निर्माण की प्रकृति का सर्वे किए बगैर नियमित नहीं किया जाना, वहां रहने वाले लोगों के साथ-साथ भेदभाव होगा। बेंच ने सरकार से कहा था कि आपने सर्वे भी नहीं किया है कि क्या निवासी सरकारी भूमि, वन भूमि या कृषि भूमि पर कब्जा कर रहे हैं?

बेंच ने कहा कि यदि सरकारी या वन भूमि पर कोई अनाधिकृत कब्जा है तो हम समझ सकते हैं। बेंच ने सरकार से कहा कि जब आपने कई अन्य कॉलोनियों को नियमित किया है तो आपको भेदभाव क्यों करना चाहिए? बेंच ने सरकार से कहा कि आप या तो स्पष्ट तौर पर सैनिक फार्म कॉलोनी को नियमित करने के बारे में फैसला लें, अन्यथा आप इसे अधर में नहीं रख सकते। हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी करते हुए दिल्ली सरकार को इस बारे में स्पष्ट रुख अपनाने को कहा है कि सैनिक फार्म को नियमित किया जाना है।

हाईकोर्ट ने यह निर्देश तब दिया जब वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने बेंच को बताया कि सरकार गरीबों को निशाना बनाते हुए जहांगीरपुरी इलाके में तोड़फोड़ कर रही है, जबकि सैनिक फार्म जैसी कॉलोनियों में अवैध निर्माण के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। हाईकोर्ट 2015 में सैनिक फार्म कॉलोनी को नियमित करने की मांग को लेकर क्षेत्र विकास समिति के संयोजक रमेश दुगर की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रही है। वर्ष 2017 में बेंच को बताया गया था कि केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय इस कॉलोनी को नियमित करने के बारे में दिल्ली सरकार व अन्य निकाय के साथ विचार हो रहा है।

 

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