देश

वैज्ञानिकों की कमी से जूझ रहा है DRDO, पलायन रोकने को वेतनवृद्धि का प्रस्ताव

नई दिल्ली।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी डीआरडीओ ने संगठन से वैज्ञानिकों का पलायन रोकने के लिए एक नई योजना बनाई है। इसके तहत डीआरडीओ ने वैज्ञानिकों को तत्काल दो अतिरिक्त वेतनवृद्धि देने का प्रस्ताव रखा है। यह प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय से वित्त मंत्रालय को भेजा जा चुका है, जिस पर अंतिम फैसला होना है। मालूम हो कि तमाम प्रयासों के बाद भी डीआरडीओ से वैज्ञानिकों का पलायन नहीं रुक रहा है। इसलिए संस्थान ने यह नई योजना बनाई है। मालूम हो कि पिछले पांच सालों में डीआरडीओ से करीब डेढ़ सौ वैज्ञानिकों ने नौकरी छोड़ी है। वैसे, डीआरडीओ का दावा है कि पहले की तुलना में नौकरी छोड़ने वाले वैज्ञानिकों की संख्या घटी है। लेकिन फिर भी प्रतिवर्ष 30 वैज्ञानिकों द्वारा नौकरी छोड़ना चिंताजनक है।

नौकरी छोड़ने के अलग-अलग कारण
>> ज्यादातर ने दूसरी जगह बेहतर मौके उपलब्ध होने के कारण नौकरी छोड़ी।
>> इसरो एवं परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) के वैज्ञानिकों की तरह परफॉर्मेंस रिलेटेड इंसेंटिव स्कीम (पीआरआईएस) का लाभ नहीं मिलना।
>> इसरो और डीएई में तीन स्तरों संगठन, समूह और व्यक्तिगत स्तर पर पीआरआईएस योजना का लाभ दिया जाता है।
>> डीआरडीओ के वैज्ञानिक पहले पीआरआईएस योजना का लाभ पा रहे थे लेकिन कुछ साल पूर्व उसे बंद कर दिया गया।

सरकार का ध्यान रक्षा उत्पादन में देश को आत्मनिर्भर बनाने पर है। इसलिए सरकार ज्यादा से ज्यादा वैज्ञानिकों की जरूरत महसूस कर रही है। रक्षा के क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास का जिम्मा डीआरडीओ के पास ही है। वैज्ञानिकों की कमी से केंद्र की रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की महत्वाकांक्षी योजना को धक्का लग सकता है।

यह है योजना
मौजूद दस्तावेज के अनुसार, जब तक डीआरडीओ के वैज्ञानिकों को पीआरआईएस योजना के दायरे में नहीं लाया जाता, तब तक उन्हें अतिरिक्त वेतनवृद्धि देकर प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इसके लिए श्रेणी सी से एफ तक के सभी वैज्ञानिकों को दो अतिरिक्त वेतनवृद्धि प्रदान की जानी चाहिए।

30 प्रयोगशालाओं में 7773 वैज्ञानिकों के पद
डीआरडीओ की कुल 30 प्रयोगशालाओं एवं मुख्यालय में वैज्ञानिकों के स्वीकृत पदों की संख्या 7,773 है। अभी सिर्फ 6,965 वैज्ञानिक ही नियुक्त हैं। इसके बावजूद संगठन पर लगातार नई तकनीकें विकसित करने व विदेशी तकनीकों के स्वदेशी संस्करण तैयार करने का दबाव है।

1200 बाहरी शोधार्थी कार्यरत
डीआरडीओ ने यह भी कहा है कि वैज्ञानिकों की कमी है लेकिन आईआईटी एवं उद्योगों के शोधकर्ता बड़ी संख्या में उसकी प्रयोगशालाओं से जुड़े हैं, जिससे उसे काफी मदद मिलती है। ऐसे करीब 1,200 बाहरी शोधकर्ता डीआरडीओ की प्रयोगशालाओं के विभिन्न परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं, जिससे वैज्ञानिकों की कमी के बावजूद डीआरडीओ बेहतर प्रदर्शन कर पा रहा है।

ब्रेन डेन रोकने के लिए युवा वैज्ञानिकों को प्रोत्साहन
डीआरडीओ के अनुसार, ब्रेन ड्रेन रोकने के लिए युवा वैज्ञानिकों को उभरती तकनीकों जैसे रोबोटिक्स, क्वांटम टेक्नोलॉजी, आर्टिफिशियन इंटेलीजेंस आदि में करियर बनाने के लिए पांच यंग साइंटिस्ट प्रयोगशालाओं की स्थापना की गई है।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button