देश

NEET: अपने फैसले पर अडिग तमिलनाडु के सीएम, उठाई संविधान संशोधन की मांग

नई दिल्ली

राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) परीक्षा को खत्म करने को लेकर तमिलनाडु सरकार अपने फैसले पर अडिग बनी हुई है। इसी कड़ी में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने इस परीक्षा में छूट की मांग करते हुए संविधान संशोधन की मांग कर डाली है। तमिलनाडु विधानसभा के विशेष शेष सत्र में स्टालिन ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि राज्य सरकार के कामकाज में केंद्र सरकार के हस्तक्षेप को रोकने के लिए संविधान में संशोधन किया जाना चाहिए। बीती आठ फरवरी को मुख्यमंत्री ने विधानसभा में नीट विरोधी विधेयक पेश किया गया था।

दरअसल, तमिलनाडु विधानसभा ने पिछले  राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा विरोधी विधेयक मंगलवार को फिर से पारित कर दिया, जिसे तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि ने कुछ दिन पहले लौटा दिया था। सत्तारूढ़ द्रमुक और मुख्य विपक्षी दल अन्ना द्रमुक ने द्रविड़ विचारधारा के आधार पर इस परीक्षा के विरोध का संकल्प लिया था। इसी पर बोलते हुए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने अपने भाषण में केंद्र सरकार से संविधान में संशोधन की मांग की है।

अपने भाषण में मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने कहा कि नीट शुरू करने की केंद्र सरकार की पहल संघीय ढांचे के विपरीत है और राज्य सरकारों के अधिकारों को कम कर संवैधानिक संतुलन कायम रखने का उल्लंघन है। अपने 24 पन्नों के भाषण में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यपाल ने संविधान के अनुच्छेद 254 (1) द्वारा विधानमंडल को दी गई विधायी शक्ति पर सवाल उठाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों के बीच प्रोटोकॉल संबंधों को संशोधित किया जाना चाहिए।
 

स्टालिन ने यह भी कहा है कि नीट से छूट वाले विधेयक को राष्ट्रपति की सहमति के बिना 27 महीने के लिए रोक दिया गया था। बाद में राज्यपाल ने बिल वापस कर दिया जो विधानसभा के भावनाओं के खिलाफ है। इस तरह के टकराव न हो इसलिए केंद्र सरकार को इस संबंध में उपाय करना चाहिए। बता दें कि तमिलनाडु विधानसभा में नीट से छूट को लेकर आठ फरवरी को सर्वसम्मति से विधेयक पारित किया गया था। यह विधेयक दोबारा फिर लाया गया था जब राज्यपाल आर एन रवि ने सितंबर 2021 में पारित इसी तरह के एक बिल को वापस लौटा दिया था।

इससे पहले मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने नीट को मारक परीक्षा बताया और कहा कि उन्हें लगता है कि राज्यपाल फिर से पारित किए गए विधेयक को बिना किसी देरी के अब राष्ट्रपति के पास उनकी मंजूरी के लिए भेजेंगे। उन्होंने कहा था कि राष्ट्रपति के पास इसे भेजना राज्यपाल का संवैधानिक कर्तव्य है। मुझे उम्मीद है कि राज्यपाल कम से कम अब इस कर्तव्य का पालन करेंगे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button