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बार-बार वैक्सीन से उठे सिस्टम पर सवाल

नई दिल्ली
बिहार में एक व्यक्ति ने 12 बार कोविड का टीका लगवा लिया. एक स्वास्थ्य अधिकारी के पांच बार टीका लगवाने का मामला उजागर हुआ. इसने व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं.बिहार के मधेपुरा जिले के एक रिटायर्ड पोस्टमास्टर ने दावा किया है कि कोरोना का टीका लेने के बाद उनकी पीठ, कमर व घुटने का दर्द ठीक हो गया और वह सीधा होकर चलने लगे. वहीं झारखंड के बोकारो जिले के एक शख्स का दावा है कि वैक्सीन लेने के बाद उसके शरीर के शिथिल पड़े अंग काम करने लगे, उसकी आवाज वापस आ गई और वह फिर से बोलने लगा. पहला मामला बिहार के मधेपुरा जिले के पुरैनी थाना क्षेत्र अंतर्गत औराय गांव का है. यहां रहने वाले 84 वर्षीय रिटायर्ड पोस्टमास्टर ब्रह्मदेव मंडल ने 13 फरवरी 2021 से 4 जनवरी 2022 के बीच 12 बार कोरोना की वैक्सीन ली. 12वीं बार टीका लेने के बाद किसी ने उन्हें पहचान लिया. इसके बाद मामले का पर्दाफाश हुआ. किस वजह से उन्होंने इतनी बार टीका लिया, इस सवाल के जवाब में ब्रह्मदेव मंडल कहते हैं, ‘‘कोरोना का टीका लेने के बाद कई बीमारियों में आराम मिला है. कमर, पीठ व घुटनों का दर्द कम हो गया, भूख भी बढ़ गई. भरपेट भोजन कर पा रहा हूं. पहले सीधे खड़ा होना और चलना मुश्किल था, अब अच्छी तरह चल लेता हूं. पहली बार वैक्सीन लेने से दर्द कम हुआ तो फिर इसे लगातार लिया. अब काफी स्वस्थ महसूस कर रहा हूं. मेरा ऑक्सीजन लेवल भी बढ़ गया है. मैं अब स्वस्थ रहना चाहता हूं.'' दर्ज हुआ केस ब्रह्मदेव मंडल का मामला पकड़ में आते ही पुरैनी स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. विनय कृष्ण प्रसाद ने स्वास्थ्यकर्मी से झूठ बोलकर कोरोना वैक्सीन लेने के आरोप में मंडल के खिलाफ पुरैनी थाने में आइपीसी की धारा 419, 420 तथा 188 के तहत एफआइआर दर्ज करा दी. प्राथमिकी दर्ज होने के बाद पुलिस ने उनके घर पर दबिश दी. गिरफ्तारी के भय से मंडल फरार हो गए. यह मामला जैसे ही मीडिया में उछला, वैसे ही जांच शुरू हो गई. स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत के अनुसार, ‘‘यह एक बड़ा अपराध है. ऐसी घटना करने वाले के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए.
 

'' हालांकि ब्रह्मदेव मंडल को अंतत: थाने से ही जमानत दे दी गई. वह कहते हैं, ‘‘अब मैं बूस्टर डोज लेकर इसका असर देखूंगा और अगर यह प्रभावकारी हुआ तब मैं 12 क्या 24 डोज लूंगा.'' वहीं उनकी पत्नी निर्मला देवी कहती हैं, ‘‘ स्थानीय डॉक्टर भरत लाल से घुटने के दर्द के लिए दवा ले रहे थे. 13 फरवरी को जब कोरोना का पहला टीका उन्होंने लिया तो दर्द में आराम मिला. दर्द के कारण वे पहले झुक कर चलते थे. टीका लेने के बाद सीधे होकर चलने लगे. इसी वजह से वे और डोज लेते गए. अपने स्वास्थ्य के लिए सोचना अपराध है क्या?'' वहीं, अधिवक्ता राजेश कुमार कहते हैं, ‘‘कानूनी नजरिए से यह अपराध है. दावे के अनुसार ब्रह्मदेव मंडल ने जो किया, वह अपने स्वास्थ्य कारणों से किया. अतएव इसका मानवीय पहलू भी देखा जाना चाहिए. अदालत भी इसका ख्याल रखती है.'' आवाज लौटने का दावा ऐसा ही एक और मामला झारखंड प्रांत के बोकारो जिले में पेटरवार प्रखंड के उतासारा पंचायत अंतर्गत सलगाडीह गांव में भी सामने आया है. पेशे से दिहाड़ी मजदूर रहे दुलारचंद एक सड़क दुर्घटना में 2015 में बुरी तरह जख्मी हो गए थे. कुछ दिनों के इलाज के बाद वे स्वस्थ हो गए, किंतु 2020 में अचानक उनके हाथ-पैर सुन्न पड़ गए और चलने-फिरने के साथ-साथ उन्हें बोलने में भी परेशानी होने लगी. तब से उन्हें बिस्तर पर ही रहना पड़ रहा था. बीते 6 जनवरी को उन्होंने कोरोना का टीका लिया. वह कहते हैं, ‘‘दो दिन बाद ऐसा लगा जैसे वह बोल सकते हैं. कोशिश की तो बोलने लगे. धीरे-धीरे आवाज साफ होने लगी. फिर अपने से उठने भी लगे. हालांकि चलने में अभी परेशानी है.'' पंचायत की मुखिया सुमित्रा देवी ने भी इसे वैक्सीन का असर बताया है, वहीं सिविल सर्जन डॉ. जितेंद्र कुमार कहते हैं, ‘‘रीढ़ की समस्या के कारण कुछ साल से दुलारचंद बिस्तर पर थे.

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