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पाकिस्तान से जंग में लहराया था तिरंगा, एक इशारे पर थम जाता था राजस्थान; ‘गुर्जर गांधी’ कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला की कहानी

जयपुर।

गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के नेता रहे कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का गुरुवार को निधन हो गया। बैंसला कई दिनों से बीमार चल रहे थे। बैंसला के सहयोगियों ने बताया कि गुर्जर आरक्षण को लेकर देश-दुनिया में चर्चा में रहे बैंसला कुछ दिन से बीमार थे। लोग उन्हें 'गुर्जर गांधी' भी कहते थे। कर्नल बैंसला गुर्जर समाज के सर्वमान्य नेता था। चाहे वसुंधरा राजे हों या अशोक गहलोत, बैंसला के एक इशारे पर पूरा राजस्थान थम जाता था। अपनी इस ताकत का अहसास बैंसला ने कई बार दोनों नेताओं को कराया था।

युद्धबंदी भी रहे थे बैंसला
राजस्थान bके करौली जिले में जन्मे बैंसला ने भरतपुर और जयपुर से पढ़ाई की। इसके बाद वह दो साल तक अंग्रेजी के प्रोफेसर रहे। लेकिन फिर वह भारतीय सेना में भर्ती हो गए। बैंसला ने 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी हिस्सा लिया और युद्धबंदी भी रहे। 1991 में भारतीय सेना से रिटायर होने के बाद वह स्थानीय राजनीति में सक्रिय हो गए।
 

'हमारे गुर्जर गांधी चले गए'
केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी ने गुर्जर नेता के निधन पर शोक जताते हुए ट्वीट किया, 'कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के निधन का समाचार दुखद है। समाज सुधार एवं समाज को संगठित करने में आपका योगदान अविस्मरणीय रहेगा।' विधायक जोगेंद्र सिंह अवाना ने मीडिया से बातचीत में कहा कि बैंसला का निधन गुर्जर समाज और उनके खुद के लिए व्यक्तिगत क्षति है। उन्होंने कहा, 'हमारे गुर्जर गांधी चले गए, इससे बड़ा दुख गुर्जर समाज के लिए हो नहीं सकता।'

कर्नल बैंसला से जुड़े रहे शैलेंद्र सिंह धाभाई ने इसे गुर्जर समाज के लिए अपूरणीय क्षति करार दिया। उन्होंने कहा, 'बैंसला ने पिछड़े वर्ग व गुर्जर समाज के लिए चेतना जगाने का काम किया। हमेशा उनके मन में गुर्जर समाज के भले की चिंता रहती थी और वह बहुत ही दृढ़ निश्चयी (व्यक्ति) थे।' 

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