देश

कभी कोख में बेटी को मारने के लिए थे बदनाम, अब हेलिकॉप्टर में ब्याह कर ला रहे बहुएं

बाड़मेर।

बदलते वक्त के साथ बेटियों को कोख में कत्ल के लिए बदनाम रहे राजस्थान के सीमावर्ती बाड़मेर-जैसलमेर जिलों में अब बेटियों के प्रति लोगों की सोच बदलती जा रही है। किसी जमाने में इन इलाकों के गांवों में बेटियों को जन्म लेते ही मार दिया जाता था, लेकिन अब हालात बिल्कुल ही बदल चुके हैं। बदलते हालातों का आलम यह है कि कभी कोख में कत्ल के लिए बदमान इन इलाकों में अब बहुओं को हेलिकाप्टर में ब्याह कर लाया जा रहा है। हाल ही में बाड़मेर जिले में एक दलित दुल्हा अपनी दुल्हन को हेलिकॉप्टर में बिठाकर लाया था, यह शादी देशभर में सुर्खियों में रही थी। अब ऐसा ही एक दूसरा मामला भी सामने आया है, जिसमें दूरस्थ रेगिस्तानी इलाके से एक नवविवाहिता हेलिकॉप्टर में बैठकर अपने ससुराल पहुंची है।

जैसलमेर की बेटी हेलिकॉप्टर से बहू बनकर पहुंची बाड़मेर
रविवार को जैसलमेर जिले के रामदेवरा के रहने वाले नारायण सिंह तंवर की बेटी संतोष कंवर की शादी बाड़मेर जिले के बूठ गांव के बजरंग सिंह के बेटे से राजेन्द्र सिंह से हुई। रविवार को बारात रामदेवरा पहुंची और शादी की रस्में पूरी होने के बाद जब विदाई का वक्त आया तो ससुराल वालों ने हेलिकॉप्टर मंगवा लिया। हेलिकॉप्टर को देखकर जहां संतोष कंवर के पिता की आंखें नम थीं, तो दूसरी ओर पूरा गांव भी अचंभित था। दुल्हन के पिता नारायण सिंह ने बताया कि बेटी की ऐसी विदाई सोची नहीं थी, इसलिए आंखें नम हो गईं। इसके बाद रविवार देर शाम ससुराल पक्ष के लोग नई नवेली दुल्हन संतोष कंवर को विदा करवाकर हेलिकॉप्टर से लेकर बाड़मेर पहुंचे।
 

दलित दूल्हे ने दुल्हन के लिए मंगवाया था हेलिकॉप्टर
इससे पहले बीते 16 दिसम्बर को बाड़मेर का एक दलित परिवार भी अपनी नई नवेली बहू को हेलिकॉप्टर में विदा करवाकर लाया था। बाड़मेर के रहने वाले तरुण मेघवाल की शादी बाड़मेर जिले में चैहटन ब्लॉक में बॉर्डर के नजदीक गांव में धिया नामक युवती से हुई। तरुण के परिवार की इच्छा थी कि उसकी दुल्हन हेलिकॉप्टर बैठकर आए, जिसके बाद उन्होनें हेलिकॉप्टर बुक करवाया और तरूण अपनी दुल्हन को हेलिकॉप्टर में बैठाकर बाड़मेर पहुंचा। तरुण के पिता रिटायर्ड टीचर तगाराम ने बताया कि उनका समाज बहुत पिछड़ा हुआ है। लेकिन जिस तरह तरुण अपनी दुल्हन को हेलिकॉप्टर से ससुराल लेकर आया, इससे पता चलता है कि उनके समाज में भी बदलाव आ रहा है और लड़कियों के प्रति सोच बदल रही है।

120 साल तक नहीं आई बारात
रेगिस्तानी जैसलमेर जिले के बसिया क्षेत्र के देवड़ा गांव में 120 साल तक बारात नहीं आई और ना ही बेटी की डोली उठी। 7 मई, 1998 को देवड़ा निवासी इंद्रसिंह भाटी की बेटी जयंत कंवर की गांव में पहली बारात आई। यह शादी देश में चर्चा का विषय बन गई। इससे पहले वर्ष 1890 में देवड़ा में एक बेटी की डोली उठी थी।

लिगांनुपात में बदलाव है बदलती सोच का प्रमाण
लड़कियों के जन्म को लेकर बीते कुछ सालों में देखा जाए, तो प्रदेश के आंकड़े और तस्वीर तेजी से बदल रही है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे -5 की ताजा रिपोर्ट बताती है कि एक हजार पुरुषों पर राजस्थान में महिलाओं की संख्या 1009 मिली है। वहीं इससे पहले 2015-2016 में हुए एनएफएचएस-4 में यह आंकड़ा देश में 991 और प्रदेश में 973 महिलाओं का दर्ज किया गया था।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button