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एक तरफा प्यार में कॉलेज छात्रा को मारी थी गोली, अब उम्रकैद की सजा…

सीहोर। प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश नसरुल्लागंज द्वारा एक महत्वपूर्ण फैसले में घर में घुसकर कॉलेज छात्रा की हत्या करने और उसकी मां को जान से मारने की नियत से गोली मारकर घायल करने वाले अभियुक्त प्रभु सिंह दायमा को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। न्यायालय ने आरोपी को भारतीय न्याय संहिता की विभिन्न धाराओं और आयुध अधिनियम के तहत दोषी पाते हुए 22 हजार रुपये के अर्थदंड से भी दंडित किया है।
विशेष लोक अभियोजक मनोज जाट ने घटना के संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि प्रकरण की शुरुआत एक तरफा प्रताडऩा से हुई थी। ग्राम भडक़ुल निवासी अभियुक्त प्रभु सिंह दायमा पिछले 2 वर्षों से मृतका का बुरी नियत से पीछा कर रहा था और फोन पर धमकी देता था कि तूने मुझे धोखा दिया है, मैं तुझे और तेरे पिता को जान से मार दूंगा। इस लगातार मिल रही प्रताडऩा से तंग आकर छात्रा ने पूर्व में थाना नसरुल्लागंज में रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी, जिसका मामला न्यायालय में लंबित था। घटना से करीब एक माह पूर्व भी आरोपी ने छात्रा का कॉलेज जाते समय पीछा किया था।
वारदात वाले दिन 14 जुलाई 2024 की रात करीब 8 बजे जब पीडि़ता की मां किचन में खाना बना रही थी और परिवार के बच्चे घर पर ही थे, तभी आरोपी प्रभु सिंह दायमा हाथ में पिस्टल लेकर घर में घुस गया। घर का गेट खुला होने का फायदा उठाकर वह सीधे अंदर पहुंचा और छात्रा को अश्लील गालियां देते हुए चिल्लाया कि आज तुझे जान से खत्म कर दूंगा। यह कहते हुए आरोपी ने अपनी पिस्टल से छात्रा के सीने पर गोली मार दी। एक के बाद एक दो गोलियां लगने से छात्रा लहूलुहान होकर वहीं गिर पड़ी, जब मां अपनी बेटी को बचाने के लिए बीच में आई तो आरोपी ने उन्हें भी जान से मारने की नियत से उनके सिर पर गोली मार दी। वारदात को अंजाम देने के बाद आरोपी सीढिय़ों से छत पर चढ़ा और वहां से कूदकर भाग निकला। अस्पताल ले जाते समय रास्ते में ही घायल छात्रा की मृत्यु हो गई, जबकि मां का उपचार किया गया।
नसरुल्लागंज पुलिस द्वारा अपराध पंजीबद्ध कर आरोपी को गिरफ्तार किया गया और साक्ष्य एकत्रित कर न्यायालय के समक्ष पेश किए गए। विचारण के दौरान प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश ने अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत चश्मदीद गवाहों के कथन, दस्तावेजी प्रमाण और वैज्ञानिक साक्ष्यों रिपोर्ट को विश्वसनीय माना। न्यायालय ने अभियुक्त प्रभु सिंह दायमा को धारा 103 बीएनएस में आजीवन कारावास, धारा 332 बीएनएस में 05 वर्ष का कारावास तथा आयुध अधिनियम की धारा 25(1)ख एवं 27(1) में 03-03 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई। शासन की ओर से इस मामले में पैरवी विशेष लोक अभियोजक मनोज जाट द्वारा की गई।

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