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मानव जीवन में भगवान की अविरल भक्ति ही श्रेष्ठ : उद्धवदास जी महाराज

विश्वनाथ पुरी में संगीतमयी नौ दिवसीय श्री रामकथा का सातवां दिन

सीहोर। रामायण में भगवान से सबने अपने अपने अनुसार वरदान प्राप्त किए किन्तु जो भगवान का स्वभाव जानते थे उन्होंने भगवान से अविरल भक्ति का वरदान ही प्राप्त किया। जब किसी भक्त ने भगवान से उनकी पसंद का वर मांगा तो भी भगवान ने उसे अविरल भक्ति ही प्रदान की क्योंकि भक्ति सब सुखों की खान है, जिसके जीवन में भगवान की अविरल भक्ति आ जाती है उसके जीवन में सारे सुखों का वास अपने आप वैसे ही हो जाता है जैसे समुद्र में नदियां अपने आप ही आकर समा जाती है। मनुष्य जीवन में भगवान की भक्ति ही श्रेष्ठ साधन है। भगवान से और कुछ मांगने की बजाए उनकी भक्ति ही मांगना चाहिए।
उक्त आषय के उदगार सुप्रसिद्ध श्री रामकथा वाचक श्रीश्री 1008 महंत श्री उद्धवदास जी त्यागी महाराज श्रीराम कुटी आश्रम सीहोर ने शहर के सीवन स्काई सिटी के नजदीक विष्वनाथपुरी में स्थित प्रसिद्ध श्री संकटमोचन हनुमान मंदिर शनिवार से नौ दिवसीय संगीतमयी श्री रामकथा के सातवें दिवस बडी संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं को रामरस में सराबोर करते हुए व्यक्त किए। महाराजश्री ने केवट प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि केवट ने भगवान से कहा कि जब तक आपके चरणों को पखार नहीं लेता मैं आपको अपनी नाव में नहीं बैठाउंगा क्योंकि आपके चरणों की रज से जैसे पत्थर की अहिल्या नारी बन गई वैसे ही मेरी नाव भी जीवित हो उठी तो मैं अपने परिवार का पालन कैसे करूंगा। उन्होंने कहा कि केवट ने श्रीराम से नाव की उतराई नहीं ली और कहा कि आप भव सागर से पार कराने वाले हैं जब मैं आपके द्वार आउंगा तब आप मुझे पार करा देना। महाराज श्री ने कहा कि भगवान के चरणों से लगे रहे तो जीवन में धर्म अपने आप आ जाएगा और जब जीवन में धर्म आ जाएगा तो मानवता आ जाएगी और मानवता आ जाएगी तो मनुष्य जीवन सार्थक हो जाएगा। उन्होंने कहा कि आजकल कई लोग जिनमें युवा भी शामिल हैं जरा जरा सी बात पर आत्महत्या कर लेते है, आत्महत्या करने वाले अपने साथ जुडेे परिजनों को जीवन भर का दुख दे देते हैं। जबकि जीवन में धैर्य का सहारा लिया जाए तो बडी से बडी समस्या से भी उबरा जा सकता है और समस्या का हल निकाला जा सकता है। जीवन अनमोल है इसे व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए। उन्होंने अपने हाथों से अपनी सुमधुर वाणी में महाराज जी ने कई भजन सुनाए जिन्हें सुनकर सभी श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए। आज कथा में महाराजश्री ने भरत मिलन प्रसंग, केवट प्रसंग एवं भगवान श्रीराम के चित्रकूट निवास का वर्णन किया गया, करूण रस से भरे हुए सजीव वर्णन से श्रोता भावविहल हो उठे और उनकी आंखों में आंसू छलक उठे।
उल्लेखनीय है कि प्रति वर्ष अनुसार इस वर्ष भी गत 13 अप्रैल शनिवार से 21 अप्रैल रविवार तक प्रतिदिन रात्रि 8 बजे से 11 बजे तक नौ दिवसीय श्री रामकथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा में शहर श्री उद्धवदास जी त्यागी महाराज श्रीराम कुटी त्यागी आश्रम सीहोर द्वारा सभी भगवत जनों को रामकथा की रसास्वादन कराया जा रहा है। कथा आयोजन समिति के अध्यक्ष पद श्री अमित नीखरा मंदिर समिति के अध्यक्ष श्री अनारसिंह चौहान, संरक्षक श्री कमलसिंह ठाकुर, मंदिर पुजारी पं. निर्मल शर्मा, पं. ओमप्रकाष शर्मा, मुकेष भावसार, गोपालदास अग्रवाल, राहुल वर्मा, कथा आयोजन समिति के उपाध्यक्ष पंकज ठाकुर, संतोष परमार, सुमित गिरोेंदिया, सचिव मोहब्बतसिंह तोमर, कोषाध्यक्ष किषन राठौर, आनंद अग्रवाल, शुभम मालवीय, मुकेष प्रजापति, चंद्रप्रताप ठाकुर, कृष्णा मेवाडा आदि अनेक समिति सदस्यों ने सभी धर्मप्रेमी जनों से अधिक से अधिक संख्या में श्रीराम कथा में सम्मिलित होकर धर्मलाभ प्राप्त करने की अपील की है। कथा समापन के अगले दिन श्री हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर मंदिर में अखंड रामायण का पाठ भी किया जाएगा जो 22 अप्रैल को प्रातः प्रारंभ होगा एवं 23 अप्रैल को समापन पष्चात हवन किया जाएगा। इसके साथ ही सायंकाल विषाल भण्डारे का आयोजन किया जाएगा।

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