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आंध्रप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार

एनडीए में शामिल होेना चाहते थे नायडू, अब भाजपा असमंजस में

अमरावती। आंध्रप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और तेलगूदेशम पार्टी के प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू को सीआईडी ने शनिवार को नांदयाल से गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी शनिवार सुबह हुई जब तेलगूदेशम के प्रमुख चंद्रबाबू आराम कर रहे थे। गिरफ्तार करने के लिए खुद डीआईजी रघुरामी रेड्डी पुलिस के साथ पहुंचे थे। चंद्रबाबू नायडू पर आरोप है कि उन्होंने आंध्र प्रदेश स्टेट स्किल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (एपीएसएसडीसी) में घोटाला किया। चंद्रबाबू नायडू की गिरफ्तारी उस समय हुई है, जब उनके दोबारा एनडीए में आने की चर्चा चल रही थी। नायडू पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम- 1988 के अलावा आईपीसी की धारा 120 (बी), 166, 167, 418, 420, 465 समेत कई धाराओं में केस दर्ज किया गया है। इन मामलों में जमानत का फैसला कोर्ट में हो सकता है। कोर्ट में साप्ताहिक छुट्टी होने के कारण सोमवार को जमानत के मामले में सुनवाई होगी। आरोप गंभीर हैं, यह मामले बड़ी अदालतों का रुख कर सकता है। केस लंबा चलेगा।

ये हैं चंद्रबाबू पर आरोप
जगन मोहन रेड्डी सरकार का आरोप है कि स्किल डवलपमेंट के नाम पर आंध्र प्रदेश के बेरोजगार युवाओं से छल किया गया। नौकरी देने के नाम पर यह सबसे बड़ा घोटाला है। अपने कार्यकाल के दौरान 2016 में चंद्रबाबू नायडू ने आंध्रप्रदेश में स्किल डवलपमेंट कॉर्पोरेशन (एपीएसएसडीसी) का गठन किया गया। युवाओं को स्किल डवलपमेंट के लिए एक्सिलेंस सेंटर बनाने का प्रावधान किया गया। सेंटर बनाने के लिए टेक कंपनियों से 3356 करोड़ रुपए के समझौते किए गए। तय किया गया कि टेक कंपनियां एक्सिलेंस सेंटर बनाने के लिए 90 फीसदी अनुदान देगी और 10 फीसदी राज्य सरकार खर्च करेगी। आरोप है कि स्किल डवलपमेंट के नाम पर टेक कंपनियों ने विदेशी में शेल कंपनियों में पैसे भेजे।

एक्सिलेंस मॉडल पर भी सवाल
जगन मोहन रेड्डी ने चंद्रबाबू नायडू के एक्सिलेंस मॉडल पर भी सवाल उठाए थे। जगन सरकार ने घोटाले का आरोप लगाते हुए पूछा था कि आखिर प्राइवेट टेक कंपनियां 90 फीसदी अनुदान क्यों देगी? 2021 में कौशल विकास निगम के मामले में केस दर्ज किया गया। अब इसमें चंद्रबाबू नायडू को आरोपी नंबर वन बनाया गया है।

दखल नहीं चाहते थे जगन
2019 में जगन मोहन की वाईएसआर कांग्रेस ने आंध्रप्रदेश की 22 लोकसभी सीट जीत ली। इसके साथ ही विधानसभा चुनाव में भी अपने दम पर 151 सीटों पर कब्जा कर आंध्र में सरकार बनाई। चंद्रबाबू नायडू केंद्र और राज्य की राजनीति में काफी पीछे छूट गए। जगन मोहन रेड्डी केंद्र में नरेंद्र मोदी के करीबी बन गए। राज्यसभा में भी वाईएसआर कांग्रेस—भाजपा का साथ देती रही। कई महत्वपूर्ण विधेयकों पर वह मोदी सरकार के संकटमोचक बने रहे। हाल ही में दिल्ली सर्विस बिल पर भी जगनमोहन की पार्टी ने केंद्र को सपोर्ट किया। जगन मोहन विपक्षी दलों को गठबंधन INDIA का हिस्सा भी नहीं बने। मगर जगन की राजनीति का दूसरा पहलू यह है कि वह एनडीए में भी शामिल नहीं हुए। बताया जाता है कि भाजपा ने उन्हें कई बार एनडीए में शामिल होने का ऑफर दिया, जिसे जगनमोहन ने ठुकरा दिया। जगनमोहन लोकसभा चुनाव के बाद खुद को किंगमेकर वाली पोजिशन में रखना चाहते हैं। उनकी रणनीति केंद्र की सरकार से मिलजुल कर राज्य की सत्ता को स्थिर रखने की है।

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