सीहोर। भगवान अपने भक्तों की हर परिस्थिति में रक्षा करते हैं। अहंकार करने वाले का मान तोड़ देते हैं। भगवान की भक्ति में अहंकार की कोई जगह नहीं होती। भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र का अहंकार तोड़ने के लिए ही गोवर्धन पर्वत की पूजा करवाई। इसके बाद इंद्र के क्रोध से गोपी और ग्वालों को बचाने के लिए उन्होंने गोवर्धन पर्वत को अंगुली पर धारण कर लिया। उक्त विचार शहर के बड़ा बाजार स्थित अग्रवाल धर्मशाला में जारी सात दिवसीय भागवत कथा के पांचवें दिवस भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहे। गुरुवार को कथा के दौरान गोवर्धन की पूजा अर्चना की गई और छप्पन भोग की प्रसादी का वितरण किया।
इस मौके पर उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म बाल लीलाओं का हमारे समाज को दिया गया सुखद संदेश है। चाहे वह गोवर्धन पूजन है। भगवान अहंकार को शून्य करते है। इंद्र क्रोधित हो गए। अत्यधिक वर्षा से हाहाकार मच गया। कृष्ण ने अपने कौशल और बल से गोपियों, गायों आदि की रक्षा की। इंद्र-पूजा के स्थान पर गोवर्धन पूजा की स्थापना की गई। कहा कि गायों का पालन, चराने तथा उनके दूध को पीने के कारण भगवान कृष्ण का नाम गोपाल पड़ा। गौ का वर्धन (बढ़ाने वाला) होने के कारण गिरिराज पर्वत का नाम गोवर्धन पड़ा। हम सबकों भी गौ पालन कर घर के सभी परिजनों को गौ दुग्ध से पुष्टकर निरोग बनाना चाहिए। भगवान अहंकारी स्वभाव को सहन नहीं कर सकते है। अहंकारी व्यक्ति का भगवान अहंकार नष्ट करते हैं। इंद्र को अभिमान था कि वह वर्षा करता हैं। नहीं करूं तो सृष्टि नष्ट हो जाए। भगवान कृष्ण ने उनका अभिमान दूर करने के लिए गोवर्धन पूजा कराकर इंद्र का मान मर्दन किया।
लाला जनम सुनी आई यशोदा मैया दे दो बधाई
कथा के पांचवें दिवस भागवत भूषण पंडित श्री मिश्रा ने भगवान श्री कृष्ण की बाललीलाओं के अलावा अनेक भजनों की प्रस्तुति दी। इस मौके पर उन्होंने जब लाला जनम सुनी आई यशोदा मैया दे दो बधाई, भजन को गया तो यहां पर मौजूद श्रद्धालु आनंद से भाव विभोर हो गए। कथा के दो घंटे पहले ही अग्रवाल पंचायती भवन भर जाता है, जहां भी श्रद्धालुओं को स्थान मिलता है, वह पर आनंदपूर्वक बैठक भक्त पूरी आस्था के साथ कथा का श्रवण कर रहे है। शहर के बड़ा बाजार स्थित धर्मशाला में अग्रवाल महिला मंडल के तत्वाधान में जारी सात दिवसीय भगवात कथा के संबंध में जानकारी देते हुए अध्यक्ष श्रीमती ज्योति अग्रवाल ने बताया कि शुक्रवार को आस्था और उत्साह के साथ भगवान श्रीकृष्ण और माता रुकमणी का विवाह उत्सव मनाया जाएगा।