Sehore News : भव्य कलश यात्रा के साथ आरंभ होगी रामायण कथा

सीहोर। आगामी पांच जनवरी से शहर के पलटन एरिया स्थित भगवान गणेश मंदिर परिसर में अंतर्राष्ट्रीय वैश्य फेडरेशन और समस्त सनातन धर्म महिला मंडल के सहयोग से संगीतमय सात दिवसीय श्रीमद् तुलसी कृत रामायण कथा का आयोजन किया जाएगा। इस भव्य आयोजन को लेकर सोमवार को शहर के छावनी स्थित माहेश्वरी धर्मशाला में बड़ी संख्या में आयोजन समिति की महिलाओं ने कथा के लिए एक विशेष बैठक का आयोजन कथा वाचक पंडित देवेन्द्र व्यास के मार्गदर्शन में किया गया।
इस मौके पर अंतर्राष्ट्रीय वैश्य फेडरेशन और समस्त सनातन धर्म महिला मंडल के अलावा बड़ी संख्या में महिलाएं मौजूद थी। इस संबंध में जानकारी देते हुए फेडरेशन की जिलाध्यक्ष श्रीमती ज्योति अग्रवाल ने बताया कि भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा के मार्गदर्शन में पंडित श्री व्यास के मुखारविन्द से होने वाली इस भव्य सात दिवसीय कथा में मुख्य यजमान नगर पालिका अध्यक्ष प्रिंस राठौर रहेगे। इसके अलावा वरिष्ठ समाजसेवी श्रीमती अरुणा सुदेश राय, पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती अमिता जसपाल अरोरा सहित अन्य समाजसेवियों का पूरा सहयोग रहेगा। कथा के पहले दिन पांच जनवरी को भव्य कलश यात्रा निकाली जाएगी और कथा आरंभ की जाएगी। छह जनवरी को कथा के दूसरे दिन राम नाम महिमा गुणवंदना, तीसरे दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह का वर्णन, कथा के चौथे दिन भगवान श्री कृष्ण और भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव, पांचवे दिन भगवान श्री राम के विवाह का वर्णन, छठवे दिवस भरत चरित्र भक्त महिमा और सातवें दिन श्री हनुमंत चरित्र और भगवान श्री राम का अभिषेक किया जाएगा।
कलयुग केवक नाम अधारा, सुमिर सुमिर नर उतरहि पारा
सोमवार को आयोजित बैठक के दौरान पंडित श्री व्यास ने कहा कि रामनाम से ही सारे संकट टल जाते हैं। कलयुग में केवल प्रभु का स्मरण ही भव से पार किए जाने का एक मात्र आधार है। कलयुग केवक नाम अधारा, सुमिर सुमिर नर उतरहि पारा। भगवान श्री राम दयालु मनुष्य, अभिमानशून्य व्यक्ति, परोपकारी और जितेंद्रीय ये चार पवित्र स्तंभ हैं, जो इस पृथ्वी को धारण किए हुए हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि ये चारों गुण एक साथ मर्यादा पुरुषोत्तम राम के चरित्र में समाहित होकर पृथ्वी की धारण शक्ति बन गए हैं। राम के इन्हीं वैयक्तिक सद्गुणों का उच्चतम आदर्श समाज के सम्मुख प्रस्तुत करना रामायण का प्रमुख उद्देश्य है। एक आदर्श पुत्र, आदर्श पति, भ्राता एवं आदर्श राजा-एक वचन, एक पत्नी, एक बाण जैसे व्रतों का निष्ठापूर्वक पालन करने वाले राम का चरित्र उकेरकर अहिंसा, दया, अध्ययन, सुस्वभाव, इंद्रिय दमन, मनोनिग्रह जैसे षट्गुणों से युक्त आदर्श चरित्र की स्थापना रामकथा का मुख्य प्रयोजन है। रामायण में वर्णित राम-लक्ष्मण-सीता ईश्वर स्वरूप हो सारे भरतखंड में पूजा-आराधना के केंद्र हो गए हैं। भगवान नाम का स्मरण कराने के लिए उक्त कथा का भव्य आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने सभी धर्मप्रेमियों से धर्मलाभ लेने की अपील की है।