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जहां हो शिव शंकर का वास उसे कहते हैं सतवास: पं मोहितरामजी

- सतवास में चल रहा श्री शिव महापुराण कथा का आयोजन

आष्टा। सृष्टि के कण-कण में भगवान है। भारत के कंकड़-कंकड़ में शंकर है। मां नर्मदा का हर कंकर शंकर महादेव उसी मां नर्मदा के किनारे में भगवान शंकर का निवास है और जहां भगवान निवास करते हैं उसे सतवास कहते हैं। जहां मेरा भोला भूत भावन शंकर निवास करते हैं उस स्थान को शिवालय कहते हैं। जिसके दर्शन मात्र से हमारे सभी पाप छूट जाते हैं। उक्त उद्गार सप्त दिवसीय श्री शिव महापुराण कथा के द्वितीय दिवस पर कथा व्यास पंडित मोहितराम जी पाठक सीहोर वालों ने कहे। उन्होंने कथा का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान का मंगल नाम सारे पापों का हरण करता है, इसलिए हमें सभी को शिव नाम की शरण ग्रहण करना चाहिए। सोमनी नाम की ब्राह्मणी ने दो बार शिव शिव कहा, उसके सारे पाप नष्ट हो गए। हम सब को भी शिव की शरण ग्रहण करना चाहिए, जिससे भी हमारे पापों से छुटकारा मिल जाए। भगवान महाबलेश्वर शिव की शरण ग्रहण करें। तृतीय दिवस की कथा में भगवान का पार्थी पूजन किया जाएगा। बड़ी संख्या में आसपास के क्षेत्र से शिव भक्त पधार रहे आयोजन समिति ने भी सभी लोगों को कथा में पधार कर धर्म लाभ लेने का आग्रह किया है। इससे पहले कथा के शुभारंभ अवसर पर सतवास शहर के प्राचीन श्री अचलेश्वर महादेव मंदिर में श्रीशिव महापुराण आयोजन को लेकर भव्य कलश यात्रा निकाली गई। कलश यात्रा श्रीराम मंदिर से प्रारंभ होकर नगर के विभिन्न मार्गोें से निकाली गई। इस अवसर पर महिलाएं पारंपरिक परिधान चुनरी व पीले वस्त्र में शामिल हुईं। इस दौरान महिला-पुरुष भजनों पर नाचते हुए चल रहे थे। इसके बाद व्यास पीठ पर विराजित होकर कथा व्यास पंडित मोहितरामजी पाठक ने शिव तत्व को जीवन का आधार बताते हुए शिवपुराण कथा का वाचन शुरू किया। कथा प्रतिदिन दोपहर दो से शाम चार बजे तक आयोजित की जाएगी। आध्यात्मिक चिंतन व श्रवण कार्यक्रम में कथा के प्रथम दिवस उन्होंने शिव प्राकट्य की कथा सुनाई। आत्मिक ख़ुशी ही सफल जीवन जीने का सूत्र है। इस संबंध में जानकारी देते हुए श्री अचलेश्वर महादेव मंदिर समिति ने बताया कि सभी के सहयोग से शहर के प्रसिद्ध शिव मंदिर में श्रावण एवं अधिक मास महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। यह शहर के इतिहास में पहला मौका है कि एक ही स्थान पर दो माह के अंतराल में दो कथाओं का वाचन किया जाएगा। शनिवार को मंदिर परिसर में विशेष अनुष्ठान किया गया। इस मौके पर यहां पर रखे रुद्राक्षों का आचार्यों सहित अन्य विप्रजनों द्वारा पंचामृत से अभिषेक किया गया। इस मौके कई वर्षों के बाद यह सावन और अधिक मास का संयोग हमें मिला है, इसलिए भगवान की भक्ति का श्रवण करें। कथा के प्रथम दिवस सीहोर से पधारे गुरुदेव की वाणी सुनकर श्रोता जन पंडाल में झूम उठे। इस दौरान बड़ी संख्या में समिति के पदाधिकारियों के अलावा श्रद्धालु भक्त मौजूद रहे।

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