राजनीतिक

शिंदे गट ने बनाया नया समूह “शिवसेना बालासाहेब”!

मुंबई
महाराष्ट्र (Maharashtra) में इन दिनों राजनीतिक संकट छाया हुआ है। जहां एक तरफ गुवाहाटी में बैठे एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) सरकार के खिलाफ लगातार बयान दे रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ सीएम उद्धव ठाकरे ने भी बगावत करने वाले विधायकों के खिलाफ सख्त कार्यवाई करने की चेतावनी दी है। इसी बीच पार्टी के प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ एकजुटता दिखाने के लिए सड़कों पर शिवसैनिक उतर आए हैं।

इस वजह से मुंबई पुलिस को किसी भी घटना से बचने के लिए हाई अलर्ट पर रखा गया है। कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में भी इस विद्रोह का असर महाराष्ट्र की राजनीति पर देखने को मिलेगा। आपको बता दे, शिवसेना ने आज राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक भी बुलाई है। ऐसे में कहा जा रहा है कि पार्टी के 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने पर आज नोटिस जारी किया जा सकता है।
स्थापना के 56 साल बाद शिवसेना इस समय सबसे बड़े संकट से जूझ रही है. ऐसा किसी पार्टी में कम ही देखने को मिलता है कि एक ओर पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक चल रही हो और दूसरी ओर बागी गुट के विधायकों की मीटिंग.  शनिवार को मुंबई में जब उद्धव ठाकरे अपनी पार्टी की कार्यकारिणी में ललकार रहे थे तो दूसरी ओर गुवाहाटी में 'नई शिवसेना' बनाने की रणनीति तैयार हो रही थी.

मुंबई के शिवसेना भवन में जारी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में फैसला लिया गया है कि बाला साहेब के नाम का दुरुपयोग न हो, इसके लिए शिवसेना चुनाव आयोग का रूख करेगी. इससे पहले कार्यकारिणी की बैठक में उद्धव ठाकरे ने कहा कि शिंदे पहले नाथ थे लेकिन अब वे दास हो गए हैं. उन्होंने कहा कि अगर शिंदे में हिम्मत है तो वे अपने पिता के नाम पर वोट मांगकर दिखाएं. इस  बैठक में तीन प्रस्तावों पर भी चर्चा हुई जिसमें  उद्धव ठाकरे पर भरोसा, बागियों पर एक्शन पर उद्धव लेंगे फैसला, और मराठी अस्मिता-हिंदुत्व पर कायम रहने जैसी बातें शामिल हैं.

लेकिन शिवसेना के सामने यही एक मुश्किल नहीं है. महाराष्ट्र विकास अघाड़ी यानी MVA में सहयोगी दल एनसीपी ने ही तीखे सवाल दाग दिए हैं. शिवसेना के साथ हुई बैठक में एनसीपी की ओरे से पूछा गया कि इतनी बड़ी बगावत हो गई और शीर्ष नेतृत्व इस बात से अनजान कैसे रहा? इतना ही नहीं एनसीपी ने कहा कि  यह अजीब लगता है कि जो नेता 'वर्षा' (सीएम हाउस) में बैठक में शामिल हुए थे, वे बाद में बागी हुए और गुवाहाटी चले गए. जमीनी स्तर काम करने वाले कार्यकर्ताओं की तरफ से प्रतिक्रिया क्यों नहीं दी जा रही है?
 
इन सवालों पर सीएम उद्धव ठाकरे को सफाई देते हुए कहा कि एकनाथ शिंदे ने दो मुद्दे उठाए जिसमें बीजेपी के साथ जाने पर विचार किया जाए और फंड और अन्य विकास के मुद्दे पर विधायकों की शिकायत रखी. उद्धव ने कहा, 'मैंने उनसे कहा कि बीजेपी के साथ जाना मंजूर नहीं है लेकिन फंड के मुद्दे पर चर्चा करेंगे.

गौरतलब है कि शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे की अगुवाई में इस समय पार्टी के 38 विधायक गुवाहाटी में डेरा डाले हुए हैं. शिंदे ने न सिर्फ सरकार या पार्टी से बल्कि ठाकरे परिवार के खिलाफ भी बगावत का झंडा बुलंद कर दिया है.

अशोक चव्हाण का कहना –

इतना ही नहीं अभी हाल ही में ये खबर आई है कि एकनाथ शिंदे खेमे द्वारा एक नया समूह गठित किया गया है जिसका नाम शिवसेना बालासाहेब रखा गया है। हालांकि इसका औपचारिक ऐलान आज किया जाएगा। हो सकता है आज उद्धव ठाकरे की बैठक के बाद इसका ऐलान किया जाए।

शिंदे गुट ने ये दावा किया है कि उनके पास 40 से ज्यादा शिवसेना विधायकों और कई और निर्दलीयों का समर्थन है। लेकिन इस नए गठित समूह को लेकर महाराष्ट्र कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण का कहना है कि जब तक इसे अध्यक्ष से कानूनी अनुमति नहीं मिलती, तब तक इस प्रकार के समूहों को अधिकृत नहीं किया जाएगा।!

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