धर्म

एक पखवाड़े में दो ग्रहण, लेकिन भारत में नहीं देंगे दिखाई

एक पखवाड़े में दो ग्रहण यानी चंद्र ग्रहण 18 सितंबर एवं सूर्य ग्रहण 2 अक्टूबर को दिखाई देंगे। हालांकि भारत में इसका कोई असर नहीं होगा और न ही दिखाई देगा। दरअसल काल पुरुष की कुंडली में यह एक अजीबोगरीब सयोग बना रहा है। ग्रहण कुंडली के 12 में भाव में मीन राशि में ऐसे संयोग का निर्माण हो रहा है। आगामी 18 सितंबर 2024 को भ्रद पक्ष शुक्ल पक्ष पूर्णिमा बुधवार को लगने वाला खंड चंद्र ग्रहण भारतीय मानक समय अनुसार सुबह 7.42 पर प्रारंभ होगा एवं मोक्ष 8.45 पर होगा। यह ग्रहण मीन राशि में होगा। मीन राशि में पहले से ही राहु गोचर कर रहा है और चंद्र ग्रहण के समय चंद्रमा और राहु के बीच डिग्री का अंतर ज्यादा हो गया है। विशेष बात है कि चंद्रमा पूर्वी भाद्र पक्ष नक्षत्र में आ रहे हैं। एक डिग्री के चंद्रमा गुरु के नक्षत्र में रहेंगे। काल पुरुष कुंडली के चौथे भाव के स्वामी चंद्रमा है चंद्र राहु की युति के कारण यह ग्रहण हो रहा है।

इन राशियों पर होगा असर –
कर्क राशि, वृश्चिक राशि, मीन राशि, मिथुन राशि को ग्रहण प्रभावित करेंगे। इस ग्रहण में ऐसी युति बना रही है जो कि पूरे विश्व को प्रभावित करेगी। शनिदेव का राहु के नक्षत्र में प्रवेश होगा व राहु का शनि के नक्षत्र में चले जाना एवं पितृपक्ष में दो ग्रहण की स्थिति चंद्रमा राहु का काल पुरुष कुंडली में 12 में भाव में होना साथ ही देवगुरु बृहस्पति 9 अक्टूबर से वक्री हो रहे हैं। मंगल मिथुन राशि में गोचर कर रहे हैं, इस कारण से छोटे बड़े रूप में मानसिक रूप से ग्रहण लोगों को प्रभावित करेंगे। यह ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देंगे और भारत में सूतक काल मान्य नहीं होगा। विदेशी व्यापार आर्थिक दृष्टि से प्रभावित होंगे, परंतु कुछ देशों की सेना व नेताओं में आक्रोश की स्थिति होगी। वह दोनों ग्रहणों से कुछ देश में युद्ध भूकंप तथा प्राकृतिक बाधा अवश्य आने की संभावना है, साथ ही कई देशों में व्यापक हिंसा हो सकती है। उत्तेजित करने वाली घटनाएं घट सकती हैं। 18 सितंबर से ही महालय श्राद्ध प्रारंभ होंगे। इसी दिन चंद्र ग्रहण होगा। 2 अक्टूबर को सर्व पित्र मोक्ष अमावस्या पर सूर्य ग्रहण होगा। यह ग्रहण अटलांटिक महासागर, पश्चिम हिंद महासागर, मध्य पूर्व अफ्रीका यूरोप अटलांटिक महासागर, अमेरिका आदि में दिखाई देगा। इस ग्रहण का प्रभाव सोमालिया, सऊदी अरब से होगा। अब देश के अधिकांश भाग ईरान, इराक तथा रूस के कुछ भाग में ग्रहण दिखाई देगा। भारत में यह ग्रहण सूर्य उदय होने के बाद होने के कारण दिखाई नहीं देगा, इसलिए इस ग्रहण के सूतक नियम मान्य नहीं है। बालाजी ज्योतिष केंद्र के ज्योतिष आचार्य पंडित सौरभ गणेश शर्मा ने बताया कि इसी पखवाड़े में दूसरा सूर्य ग्रहण 2 अक्टूबर को लगने वाला है। कंकाल कृति सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। भारतीय मानक समय अनुसार ग्रहण का प्रारंभ रात्रि 9.13 पर तथा ग्रहण का मोक्ष रात्रि 3.17 पर होगा। यह ग्रहण हस्त नक्षत्र कन्या राशि में होगा। पंडित सौरभ गणेश शर्मा ने बताया कि भारत में दोनों ग्रहण दृश्य नहीं हो रहे। अतः भारत में सूतक नियम आदि मान्य नहीं है। शास्त्रों के अनुसार ग्रहण कहीं भी पड़े पर परंतु पृथ्वी पर इसका प्रभाव जरूर पड़ता है। जहां पर ग्रहण की छाया होती है वहां पर अशुद्धता का प्रभाव होता है। एक पखवाड़े में दो ग्रहण खतरे की घंटी मानी जाती है। 15 दिन के अंदर दो ग्रहण पड़ रहे हैं। विदेश में दृश्य हो रहे हैं, परंतु उसका प्रभाव विदेशी राजनीति पर पड़ेगा। युद्ध आदि में बढ़ोतरी होगी। अमेरिका, ईरान, इराक, पश्चिमी देश इन ग्रहणों के प्रभाव से प्रभावित होंगे। रूस में भी यह ग्रहण दिखाई दे रहा है। हिंद महासागर में भी ग्रहण दृश्य होगा। प्राकृतिक प्रकोप, अतिवृष्टि, भूकंप आदि का खतरा बना रहेगा। ग्रहण के प्रभाव से मानवीय प्रकोप प्राकृतिक प्रकोप भूकंप युद्ध आदि के प्रभाव संकटकाल की ओर इशारा करते हैं। ग्रह स्थिति के अनुसार ग्रहण की स्थिति एवं कुछ वक्री ग्रहों द्वारा उपरोक्त स्थितियां निर्मित कर सकते हैं। ग्रहण का प्रभाव ग्रहण प्रारंभ होने के 3 महीने पहले एवं 3 महीने बाद तक रहता है।
पंडित सौरव गणेश शर्मा, ज्योतिषाचार्य, बालाजी ज्योतिष अनुसंधान एवं परामर्श केंद्र शास्त्री कॉलोनी स्टेशन रोड सीहोर

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