सीहोर। ओबीसी आरक्षण की प्रक्रिया में जटिल हुए त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में कई पंचायतें रोल मॉडल भी बन रही हैं। ऐसा ही मामला ग्राम पंचायत रोला का भी सामने आया। यहां के ग्रामीणों ने निर्विरोध अपना सरपंच चुन लिया। पिछले पंचायत चुनाव कुछ में वोट से अपने प्रतिद्धंदी से हार गए रवि को इस चुनाव से पहले ही ग्रामीण और वर्तमान सरपंच ने अपनी सहमति देकर सरपंच चुन लिया। ग्रामीणों ने और उम्मीदवार ने मिलकर तय किया है कि अब पंचायत चुनावों में ग्राम का कोई भी व्यक्ति सरपंच पद के लिए नामांकन जमा नहीं करेगा। वर्तमान सरपंच सुरेश चांगरी ने खुद रवि को फूल माला पहनाकर बधाई देते हुए नए सरपंच की घोषणा की। सीहोर जनपद पंचायत की अनूसूचित जनजाति सीट ग्राम पंचायत रोला अन्य पंचायतोें के लिए बेहतर उदाहरण बनकर सामने आई है। रोला पंचायत केे ग्रामीण एवं यहां की पंचायत के गांव मानपुरा के ग्रामीणों ने निर्विरोध अपना सरपंच चुना लिया। पिछले दिनों ग्राम रोला के एक देवस्थान पर बैठक आयोजित की गई, जहां पर गांव मानपुरा और रोला के ग्रामीण एकत्रित हुए। बैठक में पूर्व सरपंच, वर्तमान सरपंच और उम्मीदवार मौजूद रहे। सभी ने सर्वसम्मति से उम्मीदवार रवि ठाकुर को अपना सरपंच चुना। उल्लेखनीय है कि ग्राम पंचायत रोला में 1456 मतदाता हैं और वर्तमान में सरपंच सीट अनूसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। पूर्व में पंचायत के सरपंच रह चुके रामनारायण पाटीदार ने बताया कि पिछले पंचायत चुनावों में रवि ठाकुर और सुरेश चांगरी उम्मीदवार थे। रवि 99 वोट से हार गया था, इस बार सभी ग्रामीणों ने रवि को सरपंच चुना। सुरेश चुनाव लड़ने की बात कर रहा था, लेकिन ग्रामीणों ने समझाया वह एक बार सरपंच बन गया है और उसके कार्यकाल से जनता संतुष्ट नहीं है। ऐसे में उसे रवि को मौका देना चाहिए। ग्रामीणों के समझाने के बाद सुरेश मान गया और रवि को सरपंच पद के लिए उसने और अन्य ग्रामीणों ने सहमति दी। इस मामले में जिला पंचायत सीईओे हर्ष सिंह का कहना है कि यदि ग्रामीणों ने किसी को अपना निर्विरोध सरपंच चुना है तो फिर भी उसे नामांकन पत्र दाखिल करना पड़ेगा। निर्धारित तिथि तक यदि कोई अन्य व्यक्ति अपना नामांकन प्रस्तुत नहीं करता है तोे उक्त उम्मीदवार निर्विरोध कहलाएगा।