अशांति के काल में शांति प्रयास
साधकों के एक विशिष्ट समूह द्वारा अपनायी गयी एक उच्च अवधारणा से गुजरते हुए आध्यात्मिकता ने एक दीर्घ यात्रा पूर्ण कर ली है। मानसिक स्पष्टता, शांति की ललक और आंतरिक जीवन तक पहुँच बनाने के लिए आज अनेक लोग ध्यान, प्राणायाम और योग जैसी विद्याओं को सीखना चाह रहे हैं। मानसिक रोगों में वृद्धि के कारण कथित तौर पर देश में 20 करोड़ से अधिक लोग अवसादग्रस्त हैं, इस दिशा में सहायता हेतु आध्यात्मिकता के पास बहुत कुछ है। श्री श्री रविशंकर जैसे आध्यात्मिक गुरुओं ने धर्म, जाति या भौगोलिक भिन्नताओं से परे सभी को आध्यात्मिकता उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिन्होंने अपनी शिक्षाओं, कार्यक्रमों और जीवन दर्शन के माध्यम से सार्वभौमिक रूप से दुनिया भर में 45 करोड़ लोगों के जीवन को छुआ है। आज दुनिया महामारी के अभूतपूर्व मानसिक स्वास्थ्य परिणामों से जूझ रही है, जिसने मानव जाति की मानसिकता के मूल पर प्रहार किया है, जो भय, चिंता, अनिश्चितता और स्वेच्छाचार पैदा कर रहा है। गुरुदेव श्री श्री रविशंकर, जो इस मई को 66 वर्ष के हो गए हैं, कुछ ऐसे आध्यात्मिक नेताओं में से एक रहे हैं जिन्होंने इस संकटकाल में हितधारकों, अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं, सहायकों, स्वास्थ्य पेशेवरों, व्यवसायों, उद्योग निकायों और आम जनता सहित लाखों लोगों के साथ सक्रिय रूप से जुड़कर राहत सामग्री प्रदान की है और ऑनलाइन ध्यान सत्रों के माध्यम से अब तक विश्व स्तर पर 27 मिलियन प्रतिभागियों को मानसिक विश्रांति प्रदान की है।
आरंभ 1982 में वे शिमोगा में 10 दिनों के मौन में चले गए थे, जहाँ उन्होंने सुदर्शन क्रिया (SKY) को पहचाना, जो एक लोकप्रिय लयबद्ध श्वास लेने की विधि है, जिसे दुनिया भर में 45 करोड़ लोगों ने अपनाया है। उनके अनुसार यह उनके पास एक कविता की तरह आयी। इसका अभ्यास दुनिया भर में 156 देशों में कराए जाने वाले उनके कार्यक्रमों का केंद्रबिंदु बन गया है । उनका पहला समूह इंजीनियरों और डॉक्टरों का था, जिन्होंने पूर्ण रूप से उस विश्राम, ऊर्जा और शांति की भावना का अनुभव किया जो पहले कभी अनुभव नहीं की थी। निमहान्स के शोधकर्ताओं ने माना कि अवसाद से निपटने में सुदर्शन क्रिया उतनी ही प्रभावी थी जितनी अवसाद-रोधी स्थापित दवा इमीप्रामाइन थी. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) दिल्ली ने बताया कि सुदर्शन क्रिया और प्राणायाम सत्रों ने तनाव के एक संकेतक सीरम कोर्टिसोल के स्तर को कम किया। देश में 20 करोड़ से अधिक अवसादग्रस्त लोगों के लिए उनके द्वारा सिखाई गई आध्यात्मिक साधनाएं उपचार के गैर-आक्रामक साधनों के रूप में एक सबल उम्मीद के रूप में सामने आई हैं । उन्होंने आर्ट ऑफ लिविंग की स्थापना की, जो अगले कुछ दशकों में दुनिया के सबसे बड़े स्वयंसेवी संचालित संगठनों में से एक बन गया, जो शिक्षा, आघात और आपदा राहत, तनाव शमन, पर्यावरण संरक्षण और संघर्ष समाधान के क्षेत्र में काम कर रहा था। अपने कोविड -19 राहत कार्य के हिस्से के रूप में संगठन के स्वयंसेवकों ने भारत में 25 लाख परिवारों के लिए 750 लाख भोजन के पैकेट्स उपलब्ध कराये और प्रभावित परिवारों को 500 टन आवश्यक राहत सामग्री वितरित की। अमेरिका में, स्वयंसेवकों ने 25,000 पीपीई वितरित किए और फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं और स्वास्थ्य कर्मियों के लिए आघात राहत कार्यशालाओं का नेतृत्व किया। श्री श्री द्वारा शुरू किए गए ‘आई स्टैंड विद ह्यूमैनिटी’ अभियान के अंतर्गत संगठन ने खाद्य सामग्री, चिकित्सा आपूर्ति और सैनिटाइज़र के साथ देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे डेढ़ लाख से अधिक दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों और प्रवासी मजदूरों तक पहुँच बनाई। लोगों को चिंता और दुःख से निपटने में मदद करने के लिए संगठन ने एक राष्ट्रीय हेल्पलाइन खोली। दीर्घ कालीन सहायता के रूप में उपचार और रोग से मुक्त होने में मदद करने के उद्देश्य से संगठन ने शराब, ड्रग्स और अन्य पदार्थों की अनुपस्थिति में गंभीर मानसिक संकट और शारीरिक लक्षणों से गुजरने वालों की मदद करने के लिए एक हेल्पलाइन भी शुरू की। यहां तक कि तनावों को सुलझाने के मामलों में भी श्री श्री रविशंकर आध्यात्मिक मूल्यों की आवश्यकता पर संवाद करने और उन्हें अपनाने पर जोर देने के लिए जगह बनाते रहे हैं। कभी-कभी उन्होंने ऐसा संघर्ष के राजनीतिक केंद्र पर भी किया है, चाहे वह कोलंबियाई नागरिक संघर्ष हो, जहां उन्हें एफएआरसी विद्रोहियों के द्वारा अहिंसा का मार्ग अपनाने हेतु प्रेरित करने के लिए जाना जाता है; या राज्यव्यापी बंद के दौरान 12,000 कश्मीरियों की एक सभा को 'बंदूक संस्कृति' के खिलाफ जमीनी स्तर पर नागरिक समाज आंदोलन शुरू करने हेतु संगठित करने के लिए, या पूर्वोत्तर भारत के सात राज्यों के 67 प्रमुख विद्रोही समूहों को सुलह और विकास के लिए एक नया अध्याय शुरू करने के लिए एक मंच पर एक साथ लाने के लिए किया हो ।
बाहरी और अधिक स्पष्ट स्तर पर उनके कार्यक्षेत्र में नदियों के कायाकल्प व जेल पुनर्वास से लेकर आघात राहत और शिक्षा तक सब कुछ शामिल है।
- देश भर में 49 सूखी नदियों को पुनर्जीवित करने से 12077 गांवों में 345
- लाख लोग लाभान्वित हो रहे हैं ।
- 65 देशों में 8,00,000 से अधिक कैदी ‘कैदी पुनर्वास’ कार्यक्रमों से
- गुजर चुके हैं।
- 2012 में किसानों के संकट के कारण शुरू हुआ संगठन का शून्य लागत कृषि
- प्रशिक्षण भारत के सभी राज्यों में 22 लाख भारतीय किसानों तक पहुंच गया
- है।
- उनका संगठन स्वच्छता के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए परियोजनाएं
- चलाता है, और ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक नेताओं का निर्माण करता
- है। संगठन ने भारत में 40,212 गांवों तक पहुँच बनाकर 2,30,921 से अधिक
- ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षित किया है।
- 36 देशों और 26 भारतीय राज्यों में 81 मिलियन से अधिक पेड़ लगाए गए
- 1000 से अधिक मॉडल ग्राम पंचायतों का विकास, 62,000 से अधिक शौचालय और
- 1592 बायो-गैस संयंत्र बनाए गए
- 90,200 स्वच्छता शिविर और 27,427 चिकित्सा शिविर आयोजित किए गए जिससे
- 1.2 करोड़ लोगों को लाभ हुआ।
- 702 नि:शुल्क स्कूल दूर-दराज के क्षेत्रों में 70,000 से अधिक बच्चों
- को शिक्षा दे रहे हैं, जिनमें से 90% पहली पीढ़ी के शिक्षार्थी हैं।
- उन्होंने राष्ट्रीय नशा मुक्त भारत अभियान शुरू किया जिसमें मनोरंजन,
- राजनीति, खेल और शिक्षा के क्षेत्र की 90 प्रतिष्ठित हस्तियों के समर्थन
- के अलावा 1 करोड़ से अधिक छात्रों ने भागीदारी की ।
संयोजन की शक्ति श्री श्री को एक व्यापक राजनीतिक क्षेत्र में वैश्विक स्वीकृति मिली हुई है।वह किसी संघर्ष के सभी पक्षों के लोगों के साथ लगातार काम करते हैं, जैसे पीड़ित और अपराधी, कानून लागू करने वाले और कानून तोड़ने वाले दोनों पक्षों के साथ; कभी-कभी निहित स्वार्थों से ग्रस्त होने के कारण कुछ लोग इसके लिए आलोचना करते हैं, लेकिन शायद ही कभी इससे उनके कार्य बाधित होते हैं. कश्मीर, पूर्वोत्तर भारत, आइवरी-कोस्ट, इराक, कोसोवो, लेबनान, कोलंबिया, मध्य-पूर्व और अन्य स्थानों में श्री श्री ने कड़े असहज प्रतिरोध के बावजूद, संवाद के फलने-फूलने के लिए सुरक्षित स्थान बनाया। उनके प्रेम पूर्वक देखभाल करने वाले दृष्टिकोण के कारण उन्हें मध्यस्थता के लिए जाना जाता है जो हितधारकों के बीच विश्वास बढ़ाता है। भय, तनाव और चिंता से निपटने के लिए कोविड -19 महामारी के दौरान गुरुदेव ने विश्व ध्यान अभियान शुरू किया और व्यक्तिगत रूप से दिन में दो बार ऑनलाइन निर्देशित ध्यान आयोजित किया, जिसने लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया और उनकी आशा को जीवित बनाए रखा। जब यूरोप में युद्ध शुरू हुआ, गुरुदेव श्री श्री रविशंकर इस विवाद को संबोधित करने वाले मानवीय नेताओं में से प्रथम थे। उनके मार्गदर्शन और प्रेरणा से आर्ट ऑफ लिविंग के स्वयंसेवकों ने यूक्रेन के आसपास के 9 देशों में राहत कार्य शुरू किया। टीमों ने लोगों को निकालने, उनकी मेजबानी करने, उनके लिए आश्रय खोजने और सीमा पार करने के लिए सहायता प्रदान करने में मदद की, उन्हें दवा, भोजन और परिवहन प्रदान किए गये। 5975 से अधिक लोगों को आश्रय दिया गया। 32617 भोजन पैकेट्स उपलब्ध कराये गये, युद्धग्रस्त क्षेत्रों में फंसे लोगों से जुड़ने के लिए 24×7 हेल्पलाइन शुरू की गई। 22,342 से अधिक लोगों को मानसिक स्वास्थ्य परामर्श दिया गया। उन्होंने कहा, "यह पूरे विश्व के कल्याण की देखभाल करने का समय है, मुझे उम्मीद है कि नेताओं को विवाद के विषय को अलग रखने और किसी तरह की आम सहमति के लिए एक साथ आने और इस समस्या को हल करने का एहसास होगा"।