बिहार के लोगों में बढ़ा महंगी गाड़ियों का क्रेज, चार साल में सरकार को मिला डेढ़ गुना ज्यादा टैक्स
पटना
बिहार के लोगों में महंगी गाड़ियों का क्रेज बढ़ गया है। कोरोना के कारण राज्य में गाड़ियों की बिक्री भले ही कम हो गई है लेकिन महंगी गाड़ियों की खरीद के कारण सरकार को टैक्स के रूप में भारी-भरकम राशि प्राप्त हो रही है। चार साल पहले की तुलना में अभी बिहार में गाड़ियों की बिक्री दो लाख से कम हो गई लेकिन प्रति गाड़ियां सरकार को डेढ़ गुना से अधिक टैक्स मिला। गाड़ियों पर लग रहे टैक्स का निर्धारण साल 2019 में हुआ है। नियमानुसार एक लाख तक की गाड़ियों पर 8 फीसदी टैक्स लगता है। एक से 8 लाख तक की गाड़ियों पर 9 फीसदी और 8 से 15 लाख की गाड़ियों पर 10 फीसदी टैक्स का प्रावधान है। जबकि 15 लाख से ऊपर की गाड़ियों पर 12 फीसदी टैक्स का प्रावधान है। एक फीसदी रोड सेफ्टी टैक्स अप्रत्यक्ष तौर पर गाड़ी मालिकों से वसूला जाता है।
बीते तीन सालों से टैक्स स्लैब जस का तस है लेकिन सरकार के राजस्व में कोई कमी नहीं है। साल 2019 में 12 लाख 65 हजार गाड़ियों की बिक्री हुई थी और इससे सरकार को 1867 करोड़ की आमदनी हुई। इसके अगले साल कोरोना का कहर सामने आ गया। 2020 में गाड़ियों की बिक्री पर इसका सीधा असर हुआ। मात्र 10 लाख 36 हजार गाड़ियां बिकी। सरकार को टैक्स के रूप में 1735 करोड़ की आमदनी हुई। यानी गाड़ियों की बिक्री में 18 फीसदी जबकि राजस्व में मात्र सात फीसदी की कमी आई।
2021 में भी कोरोना का कहर रहा। इस साल भी गाड़ियों की बिक्री में कमी आई। 2021 में 10 लाख 10 हजार गाड़ियों की ही बिक्री हुई और सरकार को राजस्व के रूप में 1879 करोड़ की आमदनी हुई। यानी गाड़ियों की बिक्री में 2.21 फीसदी की कमी आई पर सरकार के राजस्व में पिछले साल की तुलना में सवा आठ फीसदी की वृद्धि हो गई। वहीं इस वर्ष फरवरी तक लगभग डेढ़ लाख गाड़ियों की बिक्री हो चुकी है। इससे 338 करोड़ 19 लाख की आमदनी हो चुकी है। इस तरह साल 2019 में जहां सरकार को टैक्स के रूप में औसतन प्रति गाड़ी मात्र 14757 रुपए मिल रहे थे वहीं अब इस वर्ष यह बढ़कर 23 हजार से अधिक हो गया है।
गाड़ियों की कीमत भी बढ़ी
शहरी क्षेत्र की कौन कहे, अब ग्रामीण इलाकों में भी लोग महंगी गाड़ियों की खरीद कर रहे हैं। पंचायती राज के प्रतिनिधि हों या बिल्डर, ठेकेदार, अधिकारी हों या अन्य रसूखदार, एक विशेष प्रकार की गाड़ियों की ही खरीद कर रहे हैं। टैक्स में वृद्धि का एक कारण यह भी है कि गाड़ियों की कीमत बढ़ गई है। दो-तीन साल पहले गाड़ियों की जो कीमत थी उसमें डेढ़ गुना तक की वृद्धि हो गई है।