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मतदान से कुछ दिन पहले ही सपा के गठबंधन में सामने आई दरार, सहयोगी ने वापस की सीटें

लखनऊ
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का पहला चरण 10 फरवरी से शुरू हो रहा है। ऐसे में पहले चरण से तकरीबन एक हफ्ते पहले ही विपक्ष के खेमे में बड़ी दरार सामने आई है। जिस तरह से समाजवादी पार्टी ने अन्य छोटे दलों के साथ गठबंधन किया है वह उन्हें रास नहीं आ रहा है और ये दल अब गठबंधन में अपने हिस्से की कुर्सियां छोड़ने लगे हैं। इसकी शुरुआत अपना दल से हुई है।

 4-5 अपना दल ने एनडीए (करवाड़ी) से अलग होने के बाद सपा के साथ सपा के साथ गठबंधन में 18 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली थी, जिसमे से 7 सीटों पर पार्टी ने 29 जनवरी को अपने उम्मीदवारों की घोषणा भी कर दी थी। लेकिन मुश्कि उस वक्त शुरू हो गई जबक सपा ने बुधवार को अ्मरनाथ मौर्या को इलाहाबाद पश्चिम से उम्मीदवार घोषित कर दिया, जबकि यह सीट अपना दल के खेमे में थी। उसी दिन सपा ने अपना दल की नेता पल्लवी पटेल को कौशांबी जिले के सिराथु से उम्मीदवार घोषित कर दिया। हालांकि पार्टी ने यह साफ नहीं किया कि वह अपना दल के चुनाव चिन्ह पर लड़ेंगी या फिर सपा के चुनाव चिन्ह पर। सभी सीटें वापस लौटाई जिस तरह से सपा ने अपना दल की उम्मीदवार का नाम घोषित किया उसके बाद अपना दल ने सपा के साथ गठबंधन की सभी सीटें वापस करने का फैसला ले लिया।

 हालांकि पार्टी ने उन 7 सीटों पर अपने उम्मीदवार वापस लेने का ऐलान नहीं किया जिनपर पार्टी ने पहले ही उम्मीदवार घोषित कर दिए थे। अपना दल (के) ने पहले ही वाराणसी की रोहनिया, पिंडारा, जौनपुर की परियाहू, मरिहान, सोनभद्र से घोरवाल, प्रतापगढ़ से प्रतापगढ़ सदर, प्रयागराज से इलाहाबाद पश्चिम से उम्मीदवार घोषित कर दिया था। अपना दल ने कहा कि वह सिराथु सीट को भी छोड़ देगी। गौर करने वाली बात है कि 27 फरवरी सिराथु, प्रतापगढ़ सदर, इलाहाबाद पश्चिम पर पांचवे चरण में यानि 27 फरवरी को मतदान होना है जबकि बाकी की सीटों पर 7 मार्च को मतदान होना है।

गठबंधन में रहेंगे साथ अपना दल (के) के राष्ट्रीय सचिव पंकज निरंजन ने कहा कि हम गठबंधन में किसी भी तरह का विवाद या भ्रम नहीं चाहते हैं। लिहाजा हमने फैसला लिया है कि हम सपा को वो सभी सीटें वापस कर देंगे जो उन्होंने हमे गठबंधन में दी थी। पहले सपा को उन जरूरतमंदो को सीट दे देने देते हैं जिन्हें ज्यादा इसकी जरूरत है। इसके बाद अगर कोई निर्विवाद सीट बचती है तो हमे दे दें वो। हालांकि उन्होंने यह साफ किया है कि वह सपा के साथ गठबंधन में साथ रहेगे। अगर अपना दल एक सीट भी नहीं जीतती है तो भी हम पिछड़ों के मुद्दे के लिए अखिलेश यादव के लिए प्रचार करेंगे।

मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह की पांच साल में कितनी बढ़ी संपत्ति, पत्नी डॉ. नीता सिंह है ज्यादा अमीर सपा के जवाब का इंतजार निरंजन ने कहा कि हमने अपने फैसले से सपा नेता उदयवीर सिंह को अवगत करा दिया है। हम सपा की ओर से प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं। सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि मैं इस खबर से अवगत नहीं हूं लेकिन गठबंधन अभी भी जारी है। वहीं एक सपा नेता का कहना है कि पार्टी के अध्यक्ष को भ्रम की स्थिति को साफ करना चाहिए। अन्यथा इससे अजीब सी स्थिति होगी जैसी सपा-कांग्रेस के गठबंधन के बीच 2017 में हुई थी।
 

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