धर्म संसद में कालीचरण के बाद ओवैसी ने कहा कि मुस्लिमों के खिलाफ कही बातों की हुई अनदेखी
रायपुर
राजधानी रायपुर में पहली बार हुए धर्म संसद में संत कालीचरण के द्वारा महात्मा गांधी पर दिए गए विवादित बयान के बाद अब आॅल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी भी इस विषय में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया के माध्यम से कहा कि यह धर्म संसद नहीं नर संहारी सम्मेलन था जहां कोलीचरण पर तो एफआईआर दर्ज की गई लेकिन मुसलमानों के खिलाफ जो कुछ भी कहा गया उसकी अनदेखी की गई। इसके लिए वहां की कांग्रेस सरकार जिम्मेदार है।
ओवैसी ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट में लिखा कि रायपुर के नर संहारी सम्मेलन में कालीचरण ने गांधी जी को गाली दी और गोडसे की तारीफ की। इस बात पर आपत्ति जताते हुए राम सुंदर रूठ कर सम्मेलन से चले गए। राम सुंदर छत्तीसगढ़ गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष हैं और इनका कैबिनेट रैंक है। ये धर्म संसद के मुख्य संरक्षक थे। सम्मेलन कांग्रेस के बिना मुमकिन ही नहीं था। राम सुंदर के संरक्षण में ना सिर्फ महात्मा गांधी को गाली दी गई, बल्कि ये भी कहा गया कि इस्लाम का मकसद राष्ट्र पर कब्जा करना है। कालीचरण चाहते हैं कि सांसद, विधायक, मंत्री-प्रधानमंत्री ऐसा होना चाहिए जो कट्टर हिंदुत्ववादी हो। लोगों के वोट न देने की वजह से देश में इस्लाम हावी होगा। लोगों को ज्यादा से ज्यादा वोट देना चाहिए और ऐसा राजा चुनना चाहिए जो कट्टर हिंदुत्ववादी हो, चाहे राजनीतिक दल कोई भी हो। क्या राम सुंदर को यह बयान आपत्तिजनक नहीं लगा? क्या ये बयान निंदनीय नहीं है? जब कालीचरण यह भाषण दे रहा था तो दर्शकों के बीच कांग्रेस नेता प्रमोद दुबे, भाजपा नेता सच्चिदानंद उपासने और नंद कुमार साय भी मौजूद थे। किसी ने अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी।
जब दोनों हाथ जोड़कर कालीचरण ने नमस्कार किया तो भीड़ नारे लगाकर तालियां बजाने लगीं, लेकिन राम सुंदर के भाषण को ऐसा समर्थन नहीं मिला। इससे वहां मौजूद लोगों की मानसिकता साफ समझ में आती है। कांग्रेस के कैबिनेट मिनिस्टर रैंक के नेता के संरक्षण में हिंदू राष्ट्र, मुसलमानों के नर संहार, लव जिहाद की बातें हुईं। एफआईआर सिर्फ गांधी जी वाले बयान पर दर्ज हुई। क्या हम समझें कि हमारे नर संहार की बात चिंताजनक नहीं है? असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि सवाल सिर्फ गिरफ्तारी का नहीं है। कांग्रेस ने इस सम्मेलन में हिस्सा क्यों लिया? 25 दिसंबर को कलश यात्रा में कांग्रेस विधायक विकास उपाध्याय, कांग्रेस के प्रमोद दुबे (रायपुर नगर निगम के सभापति) ने शिरकत की। भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह भी मौजूद थे। सम्मेलन में दूसरे उग्रवादियों ने भी कई नरसंहारी बयान दिए। सब कुछ कांग्रेस के नेता के संरक्षण में हुआ। संतों का कहना था कि बिना हिंदू राष्ट्र बने देश का कल्याण नहीं हो सकता। ये साफ है कि भाजपा-कांग्रेस दोनों ने उग्रवादियों की सहायता की। हरिद्वार में जो कुछ हुआ उसके बावजूद कांग्रेस ने न सिर्फ इस धर्म संसद को इजाजत दी बल्कि उसमें शिरकत भी की। ओवैसी ने लिखा कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेलउत्तर प्रदेश में धरना दे सकते हैं, लेकिन धर्म के नाम पर उनके अपने राज्य में क्या हो रहा है? सब इस रेस में लगे हैं कि सबसे बड़ा हिंदू कौन?