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बिहार पुलिस की लाइब्रेरी बन रही डिजिटल, रजिस्टर में रहेगा 1953 से अब तक का रिकार्ड

पटना
बिहार पुलिस महकमे की लाइब्रेरी का जल्द ही कायाकल्प होने जा रहा है. यहां की सभी किताबों पर नयी जिल्द और कवर के अलावा इन सभी का डिजिटलाइजेशन किया जा रहा है. पुलिस मुख्यालय सरदार पटेल भवन के छठे तल पर मौजूद इस विशेष लाइब्रेरी में 10 हजार से ज्यादा किताबों के अलावा कुछ बेहद ही अहम दस्तावेज मौजूद है और इन सभी की डिजिटल इंटर करायी जा रही है. सभी किताबों पर बार कोड भी लगाया जा रहा है, ताकि सभी किताबों की पूरी जानकारी कंप्यूटर में भी दर्ज रह सके.

अब तक साढ़े आठ हजार से ज्यादा किताबों का डिजिटलाइजेशन हो चुका है. आने वाले एक से दो महीने में यह लाइब्रेरी पूरी आधुनिक सुविधाओं से लैस हो जायेगी. साथ ही किताबों की संख्या भी दोगुनी के करीब होने जा रही है. हालांकि, इस संख्या तक पहुंचने में कुछ समय लगेगा. यहां की पूरी प्रक्रिया डिजिटलाइज्ड होने से किस किताबों को कौन अधिकारी या कर्मी कब ले गये, कितने दिनों से कौन-सी पुस्तक किनके पास है समेत तमाम बातों की पूरी जानकारी आसानी से हो सकेगी.

यहां के रजिस्टर में 1953 से आने-जाने वालों का पूरा रिकॉर्ड मिलता है. कई देशों से संबंधित रोचक तथ्यों के अलावा पुलिसिंग, मनोविज्ञान, इतिहास, भूगोल, धर्म, फॉरेसिक साइंस के अलावा पुलिस मैन्युअल, पुलिस ब्रिटानिका जैसी कई रोचक और अनोखी विषयों की किताबें मौजूद है. पुलिस मुख्यालय को नया ठिकाना मिलने के साथ ही इस लाइब्रेरी का भी कायाकल्प हो गया. अब यहां बैठ कर पढ़ने के लिए भी समुचित व्यवस्था की गयी है. पहले यहां महीने में औसतन 60 से 70 अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक आते थे. इसमे ज्यादा संख्या आइपीएस अधिकारी की ही थी.

यह लाइब्रेरी सिर्फ बिहार पुलिस महकमे के अधिकारियों और कर्मियों के लिए ही है. आम लोगों या अन्य किसी महकमे के अधिकारी के लिए यहां की सुविधा उपलब्ध नहीं है. यहां की कुछ किताबे अभी भी अधिकारियों और कर्मियों के पास मौजूद है. इन सभी संबंधित अधिकारियों को किताबें जल्द जमा कराने के लिए कहा गया है, ताकि इनका डिजिटलाइजेशन करके रिकॉर्ड में शामिल किया जा सके. इस विशेष लाइब्रेरी में कुछ किताबें और दस्तावेज आजादी से पहले की है, जो अब काफी खराब हालत में पहुंच गयी है. इनका समुचित तरीके से रख रखाव करके इन्हें सहेज कर रखा जा रहा है, ताकि यह धरोहर के रूप में रह सके.

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