रामजन्मभूमि के 70 प्रतिशत लैंड स्केपिंग पर मंथन, ग्लोबल संस्था ने रखा अपना विचार
अयोध्या
यूपी के अयोध्या में राम मंदिर निर्माण समिति बैठक में ग्लोबल संस्था ली एसोसिएट ने लैण्डस्केप पर दिया प्रजन्टेशन। परकोटे की ड्राइंग के साथ जरुरतों के लिहाज से कंट्रोल रूम पर विमर्श हुआ। मंदिर की 70 एकड़ जमीन की लैंडस्केपिंग को लेकर मंथन किया जा रहा है। अयोध्या में रामजन्मभूमि में विराजमान रामलला के मंदिर निर्माण के बीच यहां चल रही मंदिर निर्माण समिति की दो दिवसीय बैठक के अंतिम दिन सर्किट हाउस में पूर्वाह्न दस बजे से शाम छह बजे तक विभिन्न विषयों पर मैराथन मंथन चला। इस बैठक में सबसे महत्वपूर्ण विषय रामजन्मभूमि परिसर के 70 प्रतिशत भूभाग की लैण्ड स्केपिंग (भूदृश्य) का रहा। भारत सरकार व उत्तर प्रदेश सरकार के सुझाव पर रामजन्मभूमि ट्रस्ट ने परिसर में प्रस्तावित योजनाओं पर विराम लगा दिया है। अधिकांश योजनाओं का क्रियान्वयन रामजन्मभूमि परिसर से बाहर सरकारी माध्यम से किया जाएगा।
इसी के चलते रामजन्मभूमि ट्रस्ट ने तय किया है कि 70 एकड़ परिसर के 30 प्रतिशत भूभाग को निर्माण योजनाओं से आच्छादित किया जाएगा जिसमें आठ एकड़ में राम मंदिर व शेष आठ एकड़ में परकोटा व उसकी परिधि में मां सीता व गणपति सहित अन्य सात मंदिरों का निर्माण किया जाना है। इस तरह से करीब 16 एकड़ के अतिरिक्त धार्मिक क्रियाकलापों व अन्य जरूरी गतिविधियों से सम्बन्धित निर्माण शामिल होंगे। इस बारे में रामजन्मभूमि ट्रस्ट के न्यासी डा. अनिल मिश्र बताते हैं कि अवशेष भूभाग का भूदृश्य किस प्रकार से सुन्दर व दर्शनीय बने, इसके लिए विशेषज्ञ एजेंसी की मदद ली जा रही है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मंशा के अनुरूप देश की आजादी के सौवें वर्ष यानी 2047 में अयोध्या को वैश्विक राजधानी के रूप में विकसित करने के लिए विजन डाक्यूमेंट बनवाने के लिए प्रदेश सरकार के निर्देश पर ग्लोबल एजेंसी का चयन किया गया था। अयोध्या विकास प्राधिकरण (एडीए) के जरिए चयनित संस्था मेसर्स ली एसोसिएट साउथ एशिया प्रा. लि. को अब रामजन्मभूमि परिसर की लैण्ड स्केपिंग की परिकल्पना की डिजाइन तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी। ट्रस्ट के न्यासी डा. मिश्र की मानें तो सम्बन्धित एजेंसी ने बैठक में तैयार की गयी डिजाइन का प्रजन्टेशन दिया। समिति के विशेषज्ञ अभी इसकी एनालिसिस करेंगे और फिर अगली बैठक में अपनी राय प्रस्तुत करेंगे। इसके बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा।