मुस्लिम और जाट बहुल ग्रामीण इलाकों में बंपर वोटिंग, शहर रहे पीछे
मेरठ गाजियाबाद
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पहले राउंड में 58 सीटों पर गुरुवार को वोटिंग हुई है और कुल 62 फीसदी मतदान हुआ है। उत्तर प्रदेश में वोटिंग के इतिहास को देखते हुए यह आंकड़ा काफी अच्छा है। लेकिन इसमें जिला और विधानसभा वार बड़ा अंतर देखने को मिलता है। गाजियाबाद जैसे शहर में वोटिंग का प्रतिशत सबसे कम 55 फीसदी ही रहा है, जबकि शामली में यह आंकड़ा 69.42 फीसदी तक पहुंच गया। आंकड़ों में इस अंतर को लेकर अलग-अलग कयास भी राजनीतिक जानकारों की ओर से लगाए जा रहे हैं। खासतौर पर मुस्लिम एवं जाट बहुल और ग्रामीण इलाकों में बढ़े वोट प्रतिशत को भाजपा के लिहाज से चिंताजनक माना जा सकता है।
शामली जिले की ही बात करें तो यहां कुल मतदान 69 फीसदी रहा है, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा में रहीं कैराना सीट पर 75 फीसदी मतदान हुआ है। इससे साफ है कि कैराना में वोटों का ध्रुवीकरण की स्थिति रही है और हर पक्ष की ओर से ज्यादा से ज्यादा मतदान का प्रयास किया गया। इसके अलावा शामली में 67 फीसदी और थानाभवन में 65 फीसदी वोटिंग देखने को मिली। परंपरागत तौर पर जानकार मानते रहे हैं कि अधिक वोटिंग आमतौर पर बदलाव को लेकर होती है, जबकि मौजूदा सरकार के पक्ष में माहौल की स्थिति में मतदान का प्रतिशत कम रह जाता है। इसके अलावा ब्रज क्षेत्र कहलाने वाले मथुरा में 62.90 फीसदी और आगरा में 60 फीसदी मतदान रहा है।
यदि इसे आधार मानते हुए देखें तो साफ है कि मुस्लिम बहुल और किसान आंदोलन से प्रभावित जिलों मेरठ, मुजफ्फरनगर, शामली और बागपत में अच्छा खासा मतदान रहा है। मुजफ्फरनगर और बागपत में 65 फीसदी तक वोटिंग हुई है। इसके अलावा मेरठ में 63 फीसदी मतदान हुआ। हापुड़ में भी मतदान का प्रतिशत काफी अच्छा रहा है और यहां 67 फीसदी लोगों ने वोट डाले। बुलंदशहर में भी 65 फीसदी लोगों ने मतदान किया। वहीं गाजियाबाद में यह आंकड़ा 55 फीसदी पर ही रुक गया, जबकि गौतमबुद्धनगर में 57 फीसदी ही रहा, जहां नोएडा और ग्रेटर नोएडा जैसे शहरी इलाके आते हैं। यही नहीं सबसे ज्यादा शहरी क्षेत्र गाजियाबाद के साहिबाबाद में महज 47 फीसदी मतदान ही हुआ है। जिले में सबसे ज्यादा 66 फीसदी वोटिंग मोदीनगर सीट पर हुई, जिसमें बड़ा इलाका बड़ा ग्रामीण है।