आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट: वंचित समाज के बच्चों के बीच बढ़ी शिक्षा की भूख, आठ साल में एससी और एसटी के नामांकन में इतनी हुई वृद्धि
पटना
बिहार में शिक्षा की अलख वंचित समाज के बच्चों के बीच जगाने में राज्य सरकार कामयाब रही है। खासतौर से अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों की पढ़ने तथा स्कूलों में दाखिले के प्रति दिलचस्पी बढ़ी है। यह निश्चित तौर पर शिक्षा के क्षेत्र में घटती सामाजिक असमानता का संकेत है। सरकार द्वारा पेश आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट-2022-22 के मुताबिक 2012-13 से 2019-20 (आठ साल) के दौरान प्रारंभिक स्कूलों में अनुसूचित जाति के बच्चों के नामांकन में 33.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
वहीं अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों का नामांकन 50.5 फीसदी बढ़ा है। इस दौरान अनुसूचित जाति व जनजाति के विद्यार्थियों के नामांकन के मामले में इस समाज के लड़के व लड़कियों के नामांकन में भी अब मामूली अंतर रह गया है। वहीं प्रारंभिक विद्यालयों में कुल नामांकन पर गौर करें तो यहां भी लड़कियां (102.39 लाख) लड़कों (106.37 लाख) से थोड़ा ही कम है। यह गवाही 2019-20 के कुल नामांकन 208.76 लाख के आंकड़े दे रहे हैं।
रिपोर्ट की सलाह है कि इस लैंगिक अंतराल को घटाने के लिए और प्रयास करने की जरूरत है। वहीं प्राथमिक स्तर पर कुल नामांकन में करीब 15 लाख की कमी एक बड़ी समस्या की ओर इंगित करता है। आठ साल पूर्व जहां इस कक्षा में 154.51 लाख नामांकन था तो 2019-20 में यह 139.47 लाख तक ही रह गया है।