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महाराजगंज के निजी अस्पताल मिलीं सरकारी दवाएं,मजिस्ट्रियल जांच भी शुरू

  महाराजगंज
 

उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले में एक प्राइवेट हॉस्पिटल में छापेमारी के दौरान सरकारी अस्पताल के लिए आईं दवाएं मिलने से अधिकारी भी चौंक गए. यह छापेमारी जिला प्रशासन के निर्देश पर ड्रग विभाग ने की. सरकारी दवाएं मिलने के बाद हॉस्पिटल को सील कर दिया है. वहीं, हॉस्पिटल संचालक समेत दो के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है.

डीएम सत्येंद्र कुमार ने इस मामले में मजिस्ट्रियल जांच का भी आदेश दिए हैं. पुलिस, औषधि विभाग और प्रशासन की अलग-अलग तीन जांच एजेंसियां यह पता लगाने में जुट गई हैं कि प्राइवेट हॉस्पिटल में सरकारी दवाएं कैसे पहुंचीं ?

स्वास्थ्य विभाग के मुख्य स्टोर से यह दवाएं निजी हॉस्पिटल को बेची गई थीं या फिर किसी स्वास्थ्य केंद्र के फार्मेसिस्ट ने सरकारी दवाओं को थोक भाव में बेच दिया. इसके लिए बैच नंबर से जांच शुरू हो गई है. इस कार्रवाई से जिले में हड़कंप मच गया है. डीएम ने स्पष्ट रूप से कहा कि इस मामले में जिसकी भी संलिप्तता पाई जाएगी उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी. स्वास्थ्य विभाग के किसी कर्मी का नाम सामने आएगा तो उसको भी बख्शा नहीं जाएगा.

चार जिले के ड्रग इंस्पेक्टर ने कार्रवाई को दिया अंजाम
दरअसल, जिला प्रशासन को सूचना मिली थी कि पनियरा नगर पंचायत के एक निजी अस्पताल में सरकारी दवाएं बेची जा रही हैं. सरकारी दवा से प्राइवेट हॉस्पिटल में मरीजों का इलाज किया जा रहा है. इतना ही नहीं, अप्रशिक्षित लोग निजी अस्पताल में भर्ती मरीजों का ऑपरेशन भी कर रहे हैं. इस सूचना को डीएम सत्येंद्र कुमार ने गंभीरता से लिया. ड्रग विभाग के असिस्टेंट कमिश्नर को कार्रवाई का निर्देश दिया. असिस्टेंट कमिश्नर ने चार जिले के ड्रग इंस्पेक्टर, नायब तहसीलदार सदर के साथ पनियरा थाना शनिवार को पहुंचे. वहां से छापेमारी के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस बल को साथ लिया. उसके बाद ज्योतिमा हॉस्पिटल पनियरा में औचक छापेमारी की गई. इस दौरान अस्पताल संचालक फरार हो गया लेकिन मौके से एक निजी अस्पताल कर्मी पकड़ में आ गया. जांच के दौरान निजी अस्पताल के अंदर संचालित मेडिकल स्टोर में 21 प्रकार की दवाएं मिलीं. जिसमें से अधिकांश दवाएं सरकारी बताई जा रही हैं.

वहीं, ज्योतिमा हॉस्पिटल में आठ मरीज भर्ती थे. ड्रग विभाग ने सभी आठ मरीजों को एंबुलेंस से सरकारी अस्पताल में शिफ्ट कराया. इस कार्रवाई के बाद एनआरएचएम घोटाले के दौरान चर्चित एक रसूखदार फार्मेसिस्ट की भूमिका भी सवालों में है. डेढ़ दशक से अधिक समय से जिले में तैनात चर्चित फार्मेसिस्ट के इशारे पर ही स्वास्थ्य विभाग में पत्ता हिलता है. ड्रग विभाग का कहना है कि इस मामले से सीएमओ ऑफिस की भूमिका की भी जांच की जाएगी क्योंकि निगरानी की जिम्मेदारी उसी कार्यालय की है.

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