ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन से सालाना आएगी 690 टन कार्बन डाई आक्साइड की कमी
कोरबा
वेदांता एल्युमीनियम बिजनेस ने गियर (जेमिनी इक्विपमेंट एंड रेंटल्स प्राइवेट) इंडिया के साथ हाथ मिलाते हुए लिथियम आयन बैट्री से संचालित इलेक्ट्रिक फॉर्कलिफ्ट की फ्लीट स्थापित करेगी। इस कदम के साथ वेदांता एल्युमीनियम उद्योग में इस तरह की पहल करने वाली पहली कंपनी होगी। कंपनी झारसुगुड़ा, ओडिशा स्थित अपने एल्युमीनियम स्मेल्टर में अगले कुछ महीने में चरणबद्ध तरीके से ऐसी 23 फॉर्कलिफ्ट लगाएगी। डीजल से संचालित होने वाले फॉर्कलिफ्ट के स्थान पर इन फॉर्कलिफ्ट को लगाने से सालाना करीब 2.5 लाख लीटर डीजल की खपत कम होगी, जिससे ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में सालाना करीब 690 टन कार्बन डाई आॅक्साइड के बराबर की कमी आएगी।
वेदांता एल्युमीनियम अभी फिनिश्ड गुड्स की हैंडलिंग और मैटेरियल मूवमेंट आदि के लिए फॉर्कलिफ्ट की बड़ी फ्लीट का संचालन करती है। नई लिथियम आयन संचालित फॉर्कलिफ्ट से उत्पादकता बढ़ेगी, क्योंकि रैपिड चार्जिंग के जरिये इनकी वर्किंग साइकिल को बढ़ाया जा सकेगा। लिथियम आयन बैट्री की एक खूबी यह भी है कि इनमें बार-बार बैट्री बदलने की जरूरत नहीं होती है और पारंपरिक लेड-एसिड बैट्री की तुलना में ये ज्यादा चलती हैं। पूरी तरह सील होने के कारण इनकी देखरेख पर लगभग कोई मेहनत नहीं पड़ती है।
इन फॉर्कलिफ्ट में नवीनतम स्मार्ट फ्लीट मैनेजमेंट सिस्टम का प्रयोग किया जाएगा, जिससे साइट पर अधिकतम सुरक्षा सुनिश्चित होगी। स्मार्ट फ्लीट मैनेजमेंट सिस्टम में आईओटी (इंटरनेट आॅफ थिंग्स) टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया गया है, जिससे इंटेलीजेंट टर्मिनल्स से जुटाए गए डाटा को इंटीग्रेट किया जाता है और वेदांता एल्युमीनियम को रियल टाइम आधार पर जानकारियां मिल पाती हैं। इनमें फॉर्कलिफ्ट स्पीड, एक्सेस टु आॅपरेट, टक्कर न होने, परिचालन दक्षता के लिए आॅप्टिमाइजेशन एनालिसिस और इक्विपमेंट मैंटेनेंस समेत कई अन्य सुविधाएं मिलती हैं। साथ ही, इन इलेक्ट्रिक फॉर्कलिफ्ट में आगे व पीछे कैमरा भी है, जिससे आॅपरेटर को हर तरफ देखने की सुविधा होती है। इसके अलावा रेड-जोन लाइट और ब्लू स्पॉटलाइट भी हैं, जिनसे फॉर्कलिफ्ट के आसपास सेफ आॅपरेटिंग जोन बनाना संभव होता है। साथ ही अतिरिक्त सुरक्षा के लिए मोड़ते समय आॅटोमेटिक डिसेलेरेशन की सुविधा भी दी गई है।