अवैध कब्जे की महत्वपूर्ण फाइलें तहसील कार्यालय से हो रही गायब
जांजगीर चाम्पा
लंबित प्रकरणों की फाईलें तहसील कार्यालय से गायब हो रहीे हैं जिसके चलते राजस्व न्यायालयों में लंबित प्रकरणों की संख्या निरंतर बढ़ते जा रही है। इस बात का पतत उस समय चलता है जब पक्षकार पेशी दिनांक को उपस्थित होते हैं। बताया जाता है कि अवैध कब्जों से संबधित फाईलें पिछले 7 महिनों से गायब हैं जिसके चलते प्रकरण लंबित हो रहे हैं। समस्या से निजात दिलाने और प्रशासन का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने परेशान शिकायतकर्ता इसके खिलाफ भूख हड़ताल करने का मन बना रहे हैं ।
ग्राम पंचायत सरपंच कोटेतरा का बेजा कब्जा प्रकरण तहसीलदार न्यायालय में चल रहा था तो एक साल बाद तत्कालीन तहसीलदार के द्वारा 12 जुलाई 2021 को प्रकरण को खारिज कर दिया गया उसके बाद उसी दिन आवेदक द्वारा न्यायालय से ही नकल लेकर 13 जुलाई को प्रथम अपीलीय अनुविभागीय अधिकारी राजस्व सक्ती में अपील की गई। उसके बाद अपीलीय अधिकारी के द्वारा मूल दस्तावेज को 13 जुलाई को सक्ती अनुविभागीय अधिकारी राजस्व सक्ती के द्वारा तहसीलदार जैजैपुर को नोटिस तामील किये गए । लेकिन आज पर्यंत तहसीलदार जैजैपुर द्वारा मूल दस्तावेज को सक्ती अनुविभागीय अधिकारी को उपलब्ध नही कराया गया है,जिसके कारण आज पर्यंत तक फैसला होने के बजाये केवल पेशी ही मिल रही है।
नोटशीट में बस यही लिख दिया जाता है की मूल दस्तावेज को पेश किया जाए । जिसके कारण न्यायालय में सुनवाई नही होना समझ से परे हुए है शासकीय जमीन पटवारी के द्वारा पंचनाम कर सिद्ध कर दिया गया है और नायब तहसीलदार द्वारा भी जांच की जा चुकी है । उसमें भी शासकीय जमीन को कब्जा कर मकान बनाया सिद्ध होने के बाद आज पर्यंत तक आवेदक को न्याय नही मिल पाना भी संदेह के दायरे मे है। अगर न्यायलय में प्रकरण चलने लायक नही था तो बेजाकब्जा का प्रकरण नही बनाना था। अगर बेजाकब्जा प्रकरण दर्ज कर लिया गया तो एक साल तक न्यायालय में पेशी दी गयी और केस को खारिज कर देना और मूल दस्तावेज को तहसील कार्यालय से गायब कर देना भी समझ से परे है ।
प्रथम अपीलीय अधिकारी को नकल उपलब्ध कराने के बाद भी संज्ञान नही
आवेदक ने अनुविभागीय अधिकारी राजस्व सक्ती को लिखित आवेदन दिया और मूल दस्तावेज की नकल की सत्यप्रतिलिपि भी पेश की है । अब यह देखना होगा कि आवेदक को कब तक न्याय मिल सकता है बरहाल बेजा कब्जा जैसे मामला को दो साल तक न्यायालय में लंबित है। कलेक्टर के आदेश का पालन राजस्व विभाग को नही करना समझ से परे हुए है इससे स्पष्ट नजर आ रहा है कि बेजाकब्जा धारी सरपंच को बचाने में तहसील कार्यालय जैजैपुर के अधिकारी कर्मचारी बचाने में लगे हुए है जिसके कारण महत्वपूर्ण फाइल को जानबूझकर छुपा दिया जाता है फिर शिकायतकर्ता तहसील कार्यालय और एसडीएम कार्यालय की चक्कर काट रहे है और पेशी पर पेशी दी जा रही है।
कार्यवाही नही होने पर भूख हड़ताल की चेतावनी
कोटेतरा सरपंच भगवती गोंड बेजाकब्जा में घर बनाकर निवास किया गया है निर्वाचन आयोग को सरपंच पद की नामांकन में छुपाया गया है जिसकी कार्यवाही के लिए शिकायत कर्ता भुवनेश्वर प्रसाद आजाद पिछले दो सालों से विभाग की चक्कर काट रहे है लेकिन कार्यवाही खोदा पहाड़ निकला चूहा की तरह कछुआ गति से चल रहा है अगर ऐसी स्थिति रही तो भुवनेश्वर प्रसाद आजाद कभी भी भूख हड़ताल पर जाने की बात कह रहे हैं।