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वर्कशॉप के नाम पर छात्रों से अवैध वसूली का अड्डा बना रायपुर का साइंस कॉलेज

रायपुर
प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल एक तरफ छात्रों को राहत देते हुए व्यापमं और पीएससी जैसी परीक्षाओं में आवेदन शुल्क से छूट दे रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ प्रदेश के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित शासकीय नागार्जुन स्नात्कोत्तर विज्ञान पीजी महाविद्यालय रायपुर (साइंस कॉलेज) में छात्रों से अवैध वसूली की जा रही है।

छात्रों के हित के नाम पर न सिर्फ छात्रों का अहित किया गया है बल्कि छात्रों की जेब पर खुलेआम डाका डाला गया है।कॉलेज में छात्रों से की गई इस अवैध वसूली का मास्टरमाइंड कोई और नहीं बल्कि साइंस कॉलेज रायपुर के फिजिक्स डिपार्टमेंट की एचओडी डॉ. अंजलि अवधिया हैँ।  डॉ. अंजलि अवधिया ने कॉलेज के प्राचार्य पी. सी. चौबे की आंखों में धूल झोंककर छात्रों से न सिर्फ 12,600 रुपये की अवैध वसूली की है, बल्कि एक ऐसे वर्कशॉप के नाम पर छात्रों का समय भी खराब किया है जो कि फिजिक्स के छात्रों के काम का ही नहीं था। वर्कशॉप के नाम पर छात्रों से  अवैध वसूली करने का ये पूरा मामला छात्रों ने अपने मोबाइल में रिकॉर्ड किया है।

फिजिक्स विभाग की एचओडी डॉ. अंजलि अवधिया ने 13 और 14 मई को वर्कशॉप कराने को लेकर कॉलेज प्राचार्य से लिखित में जो परमीशन मांगी थी। उसकी नोटशीट में साफ लिखा है कि इस वर्कशॉप को कराने से विभाग और कॉलेज पर कोई आर्थिक बोझ नहीं आने की बात कही है।  नोटशीट में लिखी इबारत में कहीं भी छात्रों से पैसे लिये जाने का जिक्र नहीं है।

लेकिन प्राचार्य की मंजूरी मिलने के बाद छात्रों से अवैध वसूली का पूरा खेल डॉ. अंजलि अवधिया के द्वारा वॉट्सअप पर खेला गया है। फिजिक्स विभाग की एचओडी अवधिया ने वर्कशॉप के लिए छात्रों को वॉट्सएप पर 350 रुपये प्रति छात्र के हिसाब से पैसों की मांग की गई। इसके लिए छात्रों के आधा दर्जन वॉट्सएप ग्रुप बनाकर उनसे रुपये इक्ट्ठा करके देने को कहा गया। अपनी एचओडी की इस अवैध वसूली से हैरान-परेशान कई छात्रों ने पैसे देने से साफ इंकार कर दिया लेकिन  कुछ छात्रों ने प्रैक्टिकल में नंबर कम मिलने के डर से 12,600 रुपये जुटाकर डॉ. अंजलि अवधिया को सौंप दिये।

छात्रों का आरोप है कि विभागाध्यक्ष के द्वारा जो ई-ब्रोशर छपवाकर उन्हें भेजा गया था। उसमें कहीं भी रजिस्ट्रेशन फीस का उल्लेख नहीं था। लेकिन वॉट्सएप पर विभागाध्यक्ष के द्वारा पैसों की डिमांड की गई। छात्रों का ये भी आरोप है कि जब उन्होंने पैसों के बदले कॉलेज से रसीद दिलाए जाने की मांग एचओडी से की तो उन्होंने पहले तो छात्रों को अपना मुंह बंद रखने को कहा। लेकिन जब छात्रों ने रसीद की ज्यादा मांग की तो वर्कशॉप कराने वाली निजी टेक्नोलॉजी कंपनी इंडआइज (IndEyes) की ओर से एक रसीद छात्रों को वॉट्सएप पर भिजवा दी गई। छात्रों का कहना है कि इंडआइज के लोगों से सांठगांठ करके उनकी एचओडी डॉ. अंजलि अवधिया ने छात्रों से अवैध वसूली की है।

छात्रों ने बताया कि जब वर्कशॉप का आयोजन कॉलेज में ही, विभाग की ओर से किया गया। वर्कशॉप के लिए कॉलेज के ई-क्लासरूम और अन्य संसाधनों का इस्तेमाल किया गया तो फिर उनसे अवैध वसूली क्यों की गई। छात्राों का आरोप है कि कॉलेज में पढ़ने के लिए लगने वाली एडमिशन फीस और परीक्षा फीस वो पहले ही जमा कर चुके हैं। फिर ये दो दिवसीय वर्कशॉप के नाम पर सिर्फ और सिर्फ अवैध वसूली नहीं है तो क्या है।

छात्रों से अवैध उगाही के आरोपों में घिरी डॉ. अंजलि अवधिया की कारस्तानी यहीं खत्म नहीं होती है। वर्ष 2021 में हुए राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) ग्रेडिंग के दौरान डॉ. अंजलि अवधिया को कॉलेज प्राचार्य ने नैक कॉर्डिनेटर की अत्यधिक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी थी। लेकिन इस जिम्मेदारी में भी वो असफल साबित हुईं और कॉलेज की ग्रेडिंग पहले से गिरकर काफी नीचे चली गई। इस संबंध में उच्च शिक्षा विभाग उनसे पहले ही स्पष्टीकरण मांग चुका है।

हैरानी तब ज्यादा होती है जब सबकुछ जानकर भी कॉलेज के प्राचार्य आंखें मूंद लेते हैं। कॉलेज के मौजूदा प्राचार्य भी दुर्ग साइंस कॉलेज में अपनी पदस्थापना के दौरान कई आरोपों में घिरे रह चुके हैं। कॉलेज में होने वाली चोरियों के चर्चे बीते दिनों मीडिया की सुर्खियां बन चुकी है। इसके बावजूद भी कॉलेज प्रशासन ने अपने रवैये में कोई सुधार नहीं किया है।

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