सीतापुर जिले की सभी नौ सीटों पर रोचक मुकाबला, बागी बढ़ा रहे चुनावी सरगर्मी
सीतापुर
राजधानी लखनऊ से सटे सीतापुर जिले में विधानसभा की सभी नौ सीटों पर स्थानीय क्षत्रपों के बीच रोचक मुकाबले का परिदृश्य साफ दिखने लगा है। इन क्षत्रपों में कोई मौजूदा विधायक है तो कोई पूर्व विधायक या पूर्व मंत्री। दो सीटों पर तो बागी भी चुनावी सरगर्मी बढ़ा रहे हैं। सत्तारूढ़ भाजपा के सामने अपना पिछला प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है तो सपा समेत अन्य दल खुद को ज्यादा ताकतवर साबित करने के लिए संघर्षरत हैं। जिले में चौथे चरण में 23 फरवरी को मतदान होना है।
भाजपा ने लंबे समय बाद वर्ष 2017 के चुनाव में जिले में शानदार प्रदर्शन किया था। वह नौ में से सात सीटों सदर, महोली, हरगांव, बिसवां, सेवता, मिश्रिख व लहरपुर पर कमल खिलाने में सफल हो गई थी, जबकि सपा-बसपा को एक-एक सीट से संतोष करना पड़ा था। सपा ने महमूदाबाद तो बसपा ने सिधौली सीट पर जीत दर्ज की थी। इस बार चुनाव में सपा सभी सीटों पर मुख्य मुकाबले में है। कुछ सीटों पर त्रिकोणीय संघर्ष भी दिख रहा है। इससे पहले वर्ष 2012 के चुनाव में सपा ने सात सीटों सदर, मिश्रिख, महोली, सेउता, बिसवां, महमूदाबाद व सिधौली पर कब्जा जमाया था। हरगांव व लहरपुर सीट बसपा के खाते में गई थी, जबकि भाजपा का खाता भी नहीं खुल पाया था।
सीतापुर सदर सीट पर भाजपा ने नया प्रयोग किया है तो सपा ने आजमाए हुए चेहरे पर दांव लगाया है। भाजपा ने राकेश राठौर गुरु को मैदान में उतारा है तो सपा ने पूर्व विधायक एवं नगरपालिका के चेयरमैन राधेश्याम जायसवाल, बसपा ने खुर्शीद अंसारी व कांग्रेस ने शमीना शफीक को प्रत्याशी बनाया है। यहां भाजपा की दिक्कत यह है कि वर्ष 2017 में उसके टिकट पर चुनाव जीतने वाले राकेश राठौर चुनाव से पहले ही बागी होकर सपा में चले गए तो टिकट वितरण के बाद उसके नेता संकेत मिश्रा बगावत करके निर्दल चुनाव मैदान में आ गए। हालांकि निवर्तमान विधायक राकेश राठौर को सपा ने भी टिकट नहीं दिया। राकेश राठौर ने 20 साल बाद यह सीट भाजपा की झोली में डाली थी। हालांकि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके राजेंद्र कुमार गुप्ता यहां से छह बार विधायक रहे हैं। इसी तरह सपा प्रत्याशी राधेश्याम जायसवाल भी चार बार विधायक रहे हैं।