महंत की इच्छा ने जगाई कांग्रेस में अन्य नेताओं की इच्छा…
रायपुर
छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डा.चरणदास महंत द्वारा पिछले दिनों राज्यसभा में जाने की व्यक्तिगत इच्छा जताये जाने की इन दिनों सूबे के राजनीतिक गलियारे में लगातार चर्चा हो रही है। आखिर क्यों महंत राज्यसभा में जाना चाहते हैं? जबकि केन्द्र में अभी भाजपा की सरकार है। फिलहाल महंत विधानसभा अध्यक्ष जैसे सम्मानित पद पर आसीन है,जो कि पन्द्रह साल बाद छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार आने के बाद उनके कद के हिसाब से योग्य पद कहा जा सकता है,जो उन्हे सौंपा गया है। दीर्घ राजनीतिक अनुभव के कारण ही वे सदन का बेहतर ढंग से संचालन करते हुए पक्ष और विपक्ष के बीच सामंजस्य बनाकर भी चल रहे हैं। वर्तमान कार्यकाल में अभी सरकार के दो साल और हैं। वहीं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती ज्योत्सना महंत लोकसभा में कोरबा संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। महंत पहले भी पीसीसी अध्यक्ष से लेकर केन्द्रीय मंत्री जैसे अहम पदों पर जिम्मेदारी निभा चुके हैं। लेकिन अभी केन्द्रीय राजनीति में ऐसा कुछ है नहीं जिससे राज्यसभा में जाने से उन्हे राजनीतिक फायदा दिखता हो। राजनीतिक विशलेषक दो ही संभावना आंक रहे हैं एक राष्ट्रीय राजनीति में आलाकमान के करीब रहकर सक्रिय रह सकते हैं और आगामी विधानसभा में सक्ती सीट पर अपने बेटे की ताजपोशी कर सकते हैं। इन तमाम अटकलों के बीच मुख्यमंत्री बघेल ने स्पष्ट कह दिया है कि आलाकमान के ऊपर निर्भर है कि वे छत्तीसगढ़ की दो राज्यसभा सीटों पर किनका नाम तय करते हैं।
जैसे कि मालूम हो आने वाले महीनों में दो सीट पर राज्यसभा के लिए छत्तीसगढ़ को नया प्रतिनिधित्व मिलेगा। इधर महंत की इच्छा के बीच छत्तीसगढ़ कांग्रेस में कुछ नेताओं की इच्छा जाग गई है जिनके लिए संभावनाएं बनती दिख रही हैं,यदि महंत का नाम राज्यसभा के लिए तय हो गया तो उनके स्थान पर वरिष्ठता के लिहाज से विधानसभा अध्यक्ष के लिए पहला नाम विधायक सत्यनारायण शर्मा का आता है। जो कि काफी अनुभवी भी हैं। लेकिन संसदीय मंत्री रविन्द्र चौबे को भी प्रमोट कर सकते हैं। तब सत्यनारायण शर्मा को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है और इसी बहाने मंत्रिमंडल में फेरबदल भी हो सकता है जिसकी काफी समय से चर्चा भी हो रही है। बिलासपुर व बस्तर संभाग का प्रतिनिधित्व कम है वहां से किसी को मंत्री बनाया जा सकता है। पीसीसी अध्यक्ष मरकाम के भी मंत्री बनाये जाने की बात आ रही है,तब संगठन की कमान किसे सौंपा जायेगा? तब जबकि संगठन में चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
धनेन्द्र साहू,अमितेश शुक्ल,श्रीमती देवुति कर्मा जैसे कई विधायक भी कतार में हैं। वैसे देखा जाए तो आज कि स्थिति में मंत्रिमंडल से किसी को हटाकर नए मंत्री बनाना काफी मुश्किल काम हैं,इसलिए कि संख्या केवल 13 तक सीमित है। चूंकि आलाकमान ने मुख्यमंत्री बघेल को पूरी तरह फ्री हैंड कर रखा है इसलिए सब कुछ उन्ही पर निर्भर करता है। लेकिन इतनी सारी तमाम बातें तभी संभव होगा जब महंत जी को राज्यसभा में भेजा जाना फाइनल होगा,नहीं तो फिर यथावत वाली बात रह सकती है। राजनीति में कभी भी-कुछ भी संभव है इसलिए इच्छा और उम्मीद तो स्वाभाविक है।