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गजब के मेहनती थे महेंद्र प्रसाद, तीन लाख रुपये से खड़ी की दवा कंपनी आज टॉप-20 में होती है शुमार

पटना  

लगातार सात बार राज्‍यसभा सांसद रहे प्रसिद्ध उद्योगपति महेंद्र प्रसाद उर्फ किंग महेंद्र गजब के मेहनती इंसान थे। रविवार की देर रात किंग महेंद्र के निधन की खबर से उनके समर्थकों और उन्हें चाहने वालों में शोक की लहर दौड़ गई है। महेन्‍द्र प्रसाद, जदयू की ओर से तीसरी बार राज्यसभा सांसद अप्रैल, 2018 में बने थे।अप्रैल 2024 तक उनका कार्यकाल था। मूल रूप से बिहार के जहानाबाद के महेन्‍द्र प्रसाद का जन्‍म आठ जनवरी 1940 को हुआ था। वह सबसे पहले वर्ष 1980 में कांग्रेस से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। राज्यसभा का सदस्य वे पहली बार वर्ष 1985 में बने थे। उन्होंने एरिस्टो फार्मास्यूटिकल कंपनी की स्थापना की थी। एरिस्टो फार्मा देश की 20 बड़ी दवा कंपनियों में शुमार की जाती है।

पटना विवि से अर्थशास्त्रत्त् में स्नातक करने के बाद महेन्द्र प्रसाद ने व्यवसाय जमाने के लिए काफी मेहनत की। घर की आर्थिक हालत सुधारने के लिए वे मुम्बई चले गए। वहीं उन्होंने पूंजी जमा की और दवा उत्पादन के क्षेत्र में अपने सपने को साकार करने में जुट गए। वर्ष 1971 में उन्होंने पड़ोस के गांव ओकरी के संप्रदा सिंह के साथ मिलकर एरिस्टो फार्मा की नींव डाली। कंपनी को स्थापित करने में तब दोनों ने मिलकर तीन लाख रुपये की पूंजी लगाई थी। आज एरिस्टो फार्मा तथा मैप्रा का एशिया और अफ्रीका के कई देशों में कारोबार है। एरिस्टो फार्मा देश की 20 बड़ी दवा कंपनियों में शुमार की जाती है। खास बात यह रही कि उन्होंने अपनी दवा कंपनियों में स्थानीय लोगों की भर्ती को प्राथमिकता दी।

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