मेरठ विक्टोरिया पार्क अग्निकांड: मोटर व्हीकल एक्ट की तरह तय होगा मुआवजा; जानें क्या कहता है कानून
मेरठ
सुप्रीम कोर्ट के डबल बेंच जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस बी रामासुब्रह्मण्यम ने विक्टोरिया पार्क अग्निकांड मामले में कहा है कि प्रत्येक पीड़ित परिवार के लिए सही प्रकार से मुआवजा की गणना नहीं की गई है। मुआवजे की गणना इस प्रकार से की जानी चाहिए, जैसे मोटर व्हीकल अधिनियम के तहत मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल में की जाती है।
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में हाईकोर्ट इलाहाबाद के मुख्य न्यायाधीश से मुआवजे के लिए मेरठ में तैनात जिला जज या अपर जिला जज के द्वारा सही प्रकार से गणना कराकर दो हफ्ते के अंदर रिपोर्ट देने को कहा है। मुआवजे की गणना प्रतिदिन के हिसाब से होनी चाहिए। इसके लिए जो भी इंफ्रास्ट्रक्चर या अन्य आवश्यकताएं गणना करने वाले अधिकारी को चाहिए, वह सब हाईकोर्ट प्रदान कराएगी।
इस प्रकार गणना करने वाला अधिकारी पक्षकारों को अनुमति देगा कि वह इसके संबंध में जो भी साक्ष्य हैं, वह उपलब्ध करा सकें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जो भी अधिकारी मुआवजे की गणना करेगा, वह विधि के नियमों के अनुसार सही प्रकार से मुआवजे की गणना करके सुप्रीम कोर्ट को देगा। यह गणना मोटर व्हीकल एक्ट के तहत दी जाने वाली मुआवजे के अनुसार की जानी चाहिए।
मोटर व्हीकल एक्ट क्या है
यदि किसी दुर्घटना में किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है या उसको दुर्घटना से अयोग्यता आ जाती है तो मृतक के परिवार जन या वह व्यक्ति जिसे चोट लगी हो, रजिस्टर्ड वाहन मालिक या उसके बीमा कंपनी के खिलाफ क्षतिपूर्ति का केस दायर कर सकता है। मोटर एक्सीडेंट क्लेम केस में क्षतिपूर्ति की गणना कई आधार जैसे मृतक की आयु, शिक्षा, मृतक के खर्चे, मृतक के दायित्व, मृतक की आय आदि को ध्यान में रखकर और मृतक के भविष्य की आय के आधार पर गणना की जाती है। दुर्घटना से लेकर वर्तमान तक के ब्याज की गणना भी की जाती है। इससे पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा मिलता है।