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मुसलमानों को राजनीति और भागीदारी के बारे में नये सिरे से बात करनी होगी -मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी

बरेली
ऑल इंडिया तंजीम उलेमा-ए-इस्लाम के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रिज़वी ने बरेली से बुधवार को अप्रत्याशित बयान दिया। उन्होंने मुसलमानों से समाजवादी पार्टी छोड़कर दूसरे राजनीतिक विकल्पों पर विचार करने के साथ ही भाजपा का विरोध न करने की अपील की है। मौलाना शहाबुद्दीन रिज़वी ने कहा कि मुसलमानों को अब धर्मनिरपेक्षता का ठेका लेना बंद कर देना चाहिए। अपनी राजनीति और भागीदारी के बारे में नये सिरे से बात करनी चाहिए।

बोले- अखिलेश नहीं मुसलमानों के हितैषी, छोड़ दें सपा का दामन
मौलाना शहाबुद्दीन रिज़वी ने बुधवार को मीडिया में अपना बयान जारी किया। इसमें उन्होंने मुसलमानों को मशवरा दिया है कि अब नए हालात और नए तकाज़े हैं। इसको दखते हुए समाजवादी पार्टी के अलावा दूसरे विकल्पों पर विचार करना चाहिए और किसी भी पार्टी के खिलाफ मुखर होकर दुश्मनी मोल नहीं लेनी चाहिए। उनका आशय भाजपा से है। मौलाना ने कहा है कि मैंने चुनाव के दरमियान मुसलमानों को आगाह करते हुए बताया था कि सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव मुसलमानों के हितैषी नहीं हैं। इन्होंने हर जगह बड़े मुस्लिम चेहरों को पीछे रखने की कोशिश की और अकेले चुनाव प्रचार करते रहे। मौलाना ने कहा कि मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी में जमीन और आसमान का फर्क है, इसलिए मुसलमान दूसरे विकल्पों पर विचार करें। मौलाना ने कहा कि मेरा समाजवादी पार्टी से जुड़े मुसलमानों या सपा के लीडरों को मशवरा है कि जितनी जल्दी मुमकिन हो, समाजवादी पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दें, इसी में उनकी भलाई है।

बसपा पर भी साधा निशाना, कहा- अखिलेश अपनी ही बिरादरी के वोट नहीं ला पाए
मौलाना शहाबुद्दीन रिज़वी ने अपरोक्ष तौर पर बसपा पर भी निशाना साधा। कहा कि कई दल अक्सर अपनी हार के ठीकरा हमारे सिर पर फोड़ते हैं। बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने हाल ही में कहा कि मुसलमानों ने हमें वोट नहीं दिया है, जबकि वह सच में कहना चाहती हैं कि हम मुसलमानों की वजह से जीत पाने में सफल नहीं हुए हैं। मौलाना ने कहा कि समाजवादी पार्टी को तो मुसलमानों ने सामूहिक रूप से वोट दिया। वह भी सत्ता खो चुकी है। समाजवादी पार्टी ने अपनी सीटों में इजाफा किया है, लेकिन उसे इतनी सीटें नहीं मिल पाईं, जिससे सरकार बन सके। इसका कारण यह है कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने स्वयं के समुदाय को पूरी तरह से एकीकृत नहीं कर पाए। इसके बावजूद भी मुस्लिम वोट समाजवादी पार्टी को मिला, लेकिन कई जगहों पर अखिलेश यादव की ही बिरादरी के लोगों ने समाजवादी पार्टी को वोट नहीं दिया। इसका सबूत है कि यादव बाहुल्य क्षेत्रों में भाजपा ने 43 सीटों पर जीत हासिल की।

बोले- मायूस हैं मुसलमान, भविष्य को लेकर खड़े हैं सवाल
मौलाना शहाबुद्दीन रिज़वी ने कहा है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से प्रदेश के मुसलमान मायूस हैं, क्योंकि वे फिराकापरस्त ताकतों को सत्ता से हटाने में नाकाम रहे हैं और तब से यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि मुसलमानों का भविष्य क्या होगा? मुसलमानों में एक तरह का डर और निराशा है, लेकिन परिस्थितियां कैसी भी हों, मुसलमानों को निराश या भयभीत होने की जरूरत नहीं है। कोई समस्या है तो उसका समाधान भी है तो यह भविष्य के लिए एक सबक है। हमें एक नई रणनीति के साथ आने की जरूरत है। हमें भविष्य के बारे में अच्छी उम्मीदें रखनी हैं और हमेशा आशावादी रहना होगा।

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