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अब बैंगन खाने से नहीं होगी एलर्जी, बीएयू में 7 साल के शोध से तैयार ‘कृष्णकली’ बाजार में जल्द

 पटना
 
बाजार में जल्द ही कम बीज का बैंगन सबौर कृष्णकली आएगा। सात वर्षों के शोध के बाद  बीएयू के वैज्ञानिकों की यह ईजाद दो साल से कोरोना के पेच में फंसी है। राज्य कमेटी की बैठक नहीं होने से शोध पर मंजूरी के बाद भी इसका बीज जारी नहीं हो सका। अब इसका प्रस्ताव तैयार है और रीलिज होने के बाद एलर्जी के दुर्गणों से मुक्त यह बैंगन बाजार में आ जाएगा।

बिहार कृषि विश्वविद्यालय में शोध
बिहार कृषि विश्वविद्यालय ने इस बैगन की एक नई किस्म ईजाद की है, जिसका नाम सबौर कृष्णकली रखा गया है। विश्वविद्यालय ने शोध को मंजूरी देकर इसे जारी कर दिया। वैज्ञानिकों का दावा है कि अपने आप में यह देश में पहली किस्म है बैंगन की। बीटी ब्रिंजल पर सरकार ने रोक लगाई तो अपने वैज्ञानिकों ने कम बीज वाले बैंगन की देशी किस्म का ईजाद कर लिया।

बिहार कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की टीम ने सात साल के शोध के बाद इस नये किस्म के बैंगन की खोज की है। नुकसान पहुंचाने वाले बीटी के लक्षण इसमें नहीं हैं लेकिन यह भी उसकी तरह काना रोग अवरोधी है। इसके अलावा बैंगन को सड़ाने वाली फोमोसिस बीमारी भी इसमें कम होगी। खास बात यह है कि बीजों की संख्या कम होने के कारण बैंगन से एलर्जी वाले व्यक्ति भी इसका सेवन कर सकते हैं।

 

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