पांच साल मे भी आकार नही ले सका तेल नदी का पूल
देवभोग
पी एम जे एस वाई द्वारा 2017 में तेल नदी के सेनमुड़ा घाट पर स्वीकृत 10 करोड़ 24 लाख की राशि से बनने वाला सेतु निर्माण कार्य इतनी धीमी गति से चल रहा है कि उसके अगले पांच वर्षों मे भी पूरे होने की उम्मीद करना बेईमानी होगी ।इस दौरान राज्य शासन ने इसे जल्द पूरा करने के लिये ठेकेदार भी बदले भी बदले लेकिन नतीजा अभी तक सिफर है।
बदलते गये ठेकेदार,नहीं मिली निर्माण को गति
सेतु निर्माण में अब तक दो से तीन ठेकेदार बदल चुके हैं ।लेकिन अब तक निर्माण कार्य जिस गति से होनी चाहिए उसी के अनुरूप नहीं हो पा रही है। अब तक समयावधि पूर्ण हो चुकी है लेकिन कार्य को देखने से ऐसा लगता है मानो यह कार्य कछुए से भी धीमी चाल से गति कर रही है। कई बार शासन प्रशासन के द्वारा यह कार्य को रिवाइज भी कर चुके है ।इसी के चलते यह जो निर्माण कार्य है जिस गति से होनी चाहिए उस गति से नहीं हो पा रही है ।इसमें कहीं ना कहीं विभागीय अधिकारी भी जिम्मेदार नजर आते हैं। क्योंकि यदि उनको समय अवधि में यह कार्य पूर्ण करना था तो ठेकेदार लगातार नहीं बदलनी चाहिए था।
दो से तीन बार जगह की बदली बदली हो चुकी है
वर्तमान पेटी ठेकेदार संजय पांडे द्वारा कथित बयान के अनुसार यह जो कार्य मै दो से तीन बार जगह की बदली हो चुकी है। जिससे कार्य जिस गति से होनी चाहिए उस गति से नहीं हो पा रही है। जिसके कारण समयावधि पूर्ण हो जाने के पश्चात भी यह कार्य दो से तीन बार रिवाइज हो चुकी है ।इसी का नतीजा यह है कि कार्य की गति मैं धीमी आई हैं।और उन्होंने कहा कि अब तक नजदीक जमीन का अधिग्रहण नहीं हो पाया है जिसके चलते उस जमीन का सीमांकन नहीं हो पाया है।
विभागीय अधिकारियो की उदासीनता
जिले के आला अधिकारी व विभागीय कर्मचारी की उदासीन रवैया के चलते भी यह कार्य तेजी पकड़ नहीं रही है ।क्योंकि सवाल यह उठता है कि अगर सर्वे हो जाने के बाद भी दो से तीन बार जगह की बदली बदली क्यो की गई। क्या स्थल निरीक्षण विभागीय अधिकारी की सही नहीं हो पाई। जिसके चलते बार-बार जगह को परिवर्तन करना पड़ा।
बरसात के दिनों में नदी उफान के चलते देवभोग मुख्यालय से क्षेत्र के लोगों का संपर्क टूट जाता है ।क्योंकि बरसात के दिनों में नदी में पानी भर जाता है ।देवभोग जो है मुख्यालय होने के कारण उस क्षेत्र के लोगों का सीधा मुख्यालय से सम्पर्क टुट जाता हैं।जिसके चलते लोगों को अपनी निजी कार्य व शाशकीय कर्मचारी को मुख्यालय आने मैं बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता हैं।
इन्होने कहा
जब इस संबंध में विभागीय इंजीनियर भी एस सोनी से सेतु निर्माण के संबंध में बातचीत की तो उन्होंने बताया कि यह 2017 की स्वीकृति थी और नीचे का डेटा को परिवर्तन किया गया ।उसके बाद उसे ई डिजाइन (ड्राइंग) मैं पुन: 2019 रिवाइज हुआऔर उसी समय से कार्य प्रगति पर है लेकिन कुछ तकनीकी कारण वश कार्य मैं कार्य समय समय पर अवरुद्ध हुआ है ।इसी के चलते भी कार्य जिस गति से होनी चाहिए उस गति से नहीं हो पाई है।अभी कार्य जो हैं प्रगति पर है।