राज्य

पीलिया से बचाव के लिए सावधानी जरूरी

रायपुर
पीलिया यानि जॉन्डिस लीवर से जुड़ा रोग है। लीवर शरीर का अत्यंत महत्त्वपूर्ण अंग है, इसलिए इसे सेहतमंद रखना बहुत जरूरी है। पीलिया एक सूक्ष्म वायरस से होता है। इसके संक्रमण के कारण व्यक्ति का लीवर सामान्य ढंग से कार्य नहीं कर पाता। फलस्वरूप खून में बिलिरुबिन बढ़ जाता है।

शासकीय आयुर्वेद कॉलेज रायपुर के सह-प्राध्यापक डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि आमतौर पर गर्मियों के मौसम में पीलिया संक्रमण के रोगी बहुतायत में मिलते हैं। इस रोग का प्रमुख कारण दूषित खाद्य तथा पेय पदार्थों का सेवन, दवाओं का दुष्प्रभाव, अनेक रोग एवं आवश्यक साफ-सफाई का अभाव है। इसके अलावा संक्रमित व्यक्ति के रक्तदान करने एवं पीलिया संक्रमित व्यक्ति के मल, मूत्र से भी यह रोग होता है। इस मौसम में लोग गर्मी से राहत पाने के लिए बाजार में बिकने वाले बर्फ मिले शीतल पेय पदार्थों का सेवन करते हैं। कभी-कभी दूषित पानी से बने बर्फ तथा सड़े-गले फलों के कारण पीलिया की संभावना बढ़ जाती है।

सामान्यत: पीलिया के रोगी में बुखार आना, सिर दर्द, भूख न लगना, भोजन देखकर मिचली और उल्टी, पेट फूलना, कमजोरी व थकावट, त्वचा, नाखून और आंखों के सफेद भाग का रंग पीला होना, त्वचा में खुजली होना, पेशाब का रंग गाढ़ा पीला होना, पैरों में सूजन, पेट दर्द और दस्त जैसे लक्षण मिलते हैं। पीलिया जहां एक गंभीर बीमारी है, वहीं यह अन्य रोगों का लक्षण भी है। इसलिए इन लक्षणों के दिखाई देने पर रोगी को तुरंत विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए अन्यथा यह जानलेवा भी हो सकता है।

डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि आयुर्वेद में पीलिया को कामला रोग कहा गया है। इसका मुख्य कारण अनुचित खान-पान व दिनचर्या के कारण पित्त दोष की वृद्धि को बताया गया है। आधुनिक एवं आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के अनुसार पीलिया रोग से बचाव के लिए खान-पान में आवश्यक सावधानी तथा वैयक्तिक स्वच्छता अपनाने की जरूरत है। जहां तक संभव हो बाजार में खुले में बिकने वाले खाद्य पदार्थों तथा बर्फ मिले गन्ना या अन्य फलों के रसों के सेवन, वसायुक्त भोजन, स्ट्रीट फूड, मांसाहार, शराब एवं धूम्रपान का परहेज करें। इस मौसम में ताजा व गर्म भोजन और उबले हुए पानी, दही, छाछ में काला नमक व जीरा मिलाकर पीएं। नीबू की शिकंजी, गन्ना रस, अनार, मौसंबी, अंगूर इत्यादि फल को खान-पान में शामिल करें तथा नियमित व्यायाम करें। शौच के बाद एवं भोजन के पहले हाथों को साबुन से अच्छी तरह से धोना चाहिए। इन सावधानियों को अपनाकर पीलिया बीमारी से बचा जा सकता है।

आमतौर पर यह देखा जाता है कि पीलिया के रोगी इस रोग के उपचार के लिए अंधविश्वास या झाड़-फूंक के फेर में पड़ जाते हैं जो जानलेवा हो सकता है। पीलिया रोग का उपचार आधुनिक एवं आयुर्वेद दोनों पद्धतियों में संभव है। इसलिए नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों, आयुर्वेद अस्पतालों अथवा विशेषज्ञ चिकित्सकों की सलाह तुरंत लेनी चाहिए।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button