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राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य महोत्सव में विभिन्न सत्रों में 80 शोधपत्रों का प्रस्तुतीकरण

रायपुर
राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य महोत्सव में तीन दिनों तक देश के विभिन्न राज्यों से जनजातीय विषयों पर लिखने वाले जनजातीय एवं अन्य स्थापित विख्यात साहित्यकारों, रचनाकारों, विश्वविद्यालय के अध्येताओं, शोधार्थियों द्वारा विभिन्न सत्रों में 80 शोधपत्रों का प्रस्तुतीकरण किया जाएगा। शोधपत्रों का पठन पांच सत्रों में होगा और प्रतिभागियों की संख्या को देखते हुए सामानांतर सत्र भी आयोजित किया जा रहा है। इसी प्रकार साहित्यिक परिचर्चा आठ सत्रों में आयोजित की जाएगी। जनजातीय साहित्य परिचर्चा में राज्य के बाहर से 26 विद्वान, जिनमें 12 जनजातीय साहित्यकार और छत्तीसगढ़ राज्य के 66 जनजातीय साहित्यकार शिरकत कर रहे हैं। जनजातीय साहित्य समारोह में 107 शोध पत्र, जिनमें 69 छत्तीसगढ़ राज्य से और 38 राज्य के बारह से प्राप्त हुए हैं।

आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग की आयुक्त श्रीमती शम्मी आबिदी ने बताया कि परिचर्चा का उद्देश्य पारंपरिक तथा समकालीन जनजातीय साहित्य के संरक्षण और विकास के समक्ष उपस्थित चुनौतियों एवं आधुनिक संदर्भ में इनके समाधान का मार्ग प्रशस्त करना है। आठ सत्रों में से प्रथम सत्र में भारत में जनजातीय भाषा एवं साहित्य का विकास- वर्तमान एवं भविष्य, द्वितीय सत्र में भारत में जनजातीय विकास- मुद्दे, चुनौतियां एवं भविष्य, तृतीय सत्र में भारत में जनजातीयों में वाचिक परंपरा के तत्व एवं विशेषताएं तथा संरक्षण हेतु उपाय, चतुर्थ सत्र में भारत में जनजातीय धर्म एवं दर्शन, पंचम सत्र में जनजातीय लोक कथाओं का पठन एवं अनुवादी, षष्ठम सत्र में विभिन्न बोली, भाषाओं में जनजातीय में लोक काव्य का पठन एवं अनुवाद, सप्तम सत्र में छत्तीसगढ़ राज्य में जनजातीय साहित्य की स्थिति एवं संरक्षण हेतु उपाय, अष्टम सत्र में छत्तीसगढ़ी जनजातीय साहित्य (कथा, लोकोक्ति, काव्य का पठन) विषय पर परिचर्चा होगी। इन परिचचार्ओं में अन्य राज्यों से 26 जनजातीय विषयों तथा साहित्य के क्षेत्र में कार्यरत वरिष्ठ विद्वान साहित्यकार, विश्वविद्यालय, महाविद्यालय के प्रोफेसर्स में ओडिशा से प्रोफेसर शरत कुमार जेना, नई दिल्ली से डॉ. संदेशा रैयपा गब्रियाल, नई दिल्ली से ही डॉ. स्नेहलता नेगी, राजस्थान से डॉ. गंगा सहाय मीना और डॉ. हरिराम मीना, लखनऊ डॉ. अलका सिंह और डॉ. रविन्द्र प्रताप सिंह, चेन्नई से प्रोफेसर पी. सुब्बाचारी, हैदराबाद से डॉ. सत्यरंजन महकुल, गोवाहाटी से डॉ. अभिजीत पायेंग, मेघालय से डॉ. कंचन शर्मा, कलकत्ता से आयोयेन्द्र नाथ त्रिवेदी, छत्तीसगढ़ से डॉ. देवमत मिंज, रांची से श्रीमती वंदना टेटे, अश्वनी कुमार पंकज और महादेव टोप्पो, इंदौर से डॉ. रेखा नागर और मदन वास्कले, कर्नाटक से डॉ. के.एम. मेत्री, झारखण्ड से वाल्टर भेंगरा, भोपाल से एस.के. पाण्डेय, झारखण्ड से श्रीमती जेरबा मुरम, नई दिल्ली से वरजिनियस खाखा, मुम्बई से डॉ.  विपिन जो.जो., छत्तीसगढ़ से एम.के. मिश्रा, तेलंगाना से पद्मश्री साकीनेकी रामचंद्रया एवं जनजातीय साहित्य के रचनाकार शामिल हो रहे है।

जनजातीय साहित्य समारोह में शोधार्थियों से शोध पत्र के सारांश प्राप्त किए गए हैं। इन सारांश का संकलन कर स्मारिका के रूप में प्रकाशित कराया जाएगा, जिसका लाभ जनजातीय साहित्य के क्षेत्र में कार्य कर रहे शोधार्थियों के साथ-साथ राज्य के विश्वविद्यालायों और महाविद्यालयो के विद्यार्थियों, जनजातीय साहित्य के क्षेत्र में रूचि रखने वाले पाठकों को भी मिलेगा।

राज्य स्तरीय कला एवं चित्रकला प्रतियोगिता और हस्त कलाओं के प्रदर्शन कार्य का तीन आयु वर्गों 12 से 18, 18 से 30 और 30 वर्ष से अधिक में किया गया है। जिसमें 233 प्रतिभागियों ने नामांकन कराया है। कला चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन पंडित दीनदयाल उपाध्याय आॅडिटोरियम के प्रथम, द्वितीय तल के गलीयारे में किया गया है। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ के विभिन्न जनजातीय क्षेत्रों में विभिन्न अवसरों और पर्वों पर किए जाने वाले जनजातीय नृत्य विधाओं का प्रदर्शन भी महोत्सव में हो रहा है। राज्य के संभाग स्तर पर चयनित सरगुजा, बिलासपुर, दुर्ग, रायपुर, बस्तर संभाग के कुल 14 विधाओं के आदिवासी लोक कलाओं द्वारा नृत्य प्रस्तुतियां दी जाएगी। शैला, कर्मा, सोदा, काकसाड़, मांदरी नृत्य, गवर सिग, मंड़ई नृत्य आदि का प्रदर्शन किया जाएगा। जनजातीय संस्कृति एवं जनजातीय महापुरूषों में क्रांतिवीर गुंडाधूर एवं शहीद वीर नारायण सिंह पर आधारित स्थानीय कलाकारों द्वारा मंचित नाटक कार्यक्रम के मुख्य आकर्षक होंगे। अंतिम दिन भोपाल से आए कलाकारों द्वारा जनजातीय जीवन पर आधारित लमझना नाटक का मंचन किया जाएगा।

पुस्तक मेले में देश के विभिन्न राज्यों से आए प्रतिष्ठित शासकीय एवं अशासकीय प्रकाशकों द्वारा जनजातीय विषयों पर आधारित पुस्तकों एवं विक्रय किया जाएगा। इसमें आदिम जाति अनुसंधान तथा प्रशिक्षण रायपुर एवं वन्य प्रकाशन भोपाल के अतिरिक्त सत्यम पब्लिशिंग नई दिल्ली, कौशल पब्लिशिंग हाउस भोपाल, सरस्वती बुक भिलाई, फारवर्ड प्रेस नई दिल्ली, राजकमल प्रकाशन नई दिल्ली, कावेरी बुक सर्विस नई दिल्ली, वाणी प्रकाशन एवं भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन नई दिल्ली, नेशनल बुक ट्रस्ट नई दिल्ली, वैभव प्रकाशन रायपुर, हिन्द ग्रन्थ अकादमी रायपुर एवं गोंडवाना साहित्य द्वारा पुस्तकों का प्रदर्शन एवं विक्रय किया जाएगा।

महोत्सव में छत्तीसगढ़ में निर्मित विभिन्न जनजातीय, हस्तशिल्पों, कलाओं का प्रदर्शन और विक्रय किया जाएगा। यहां छत्तीसगढ़ के विभिन्न कलाकार, हस्तकला के कार्यक्रम में भाग लेने वाली विभिन्न राज्यों के आगंतुक अवलोकन कर सकेंगे। वही उपस्थित दर्शक एवं आमजन इस प्रदर्शनी का आनंद ले सकेंगे। इसके साथ छत्तीसगढ़ी व्यंजनों एवं आदिवासी अंचल बस्तर के बस्तरिया व्यंजनों का भी रसास्वादन आगंतुक ले सकेंगे।

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