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सेल-बीएसपी के यूआरएम ने आर-260 ग्रेड रेल के उत्पादन में बनाया नया दैनिक रिकॉर्ड

भिलाई
राष्ट्र के लिए रेल निमार्ता के रूप में, सेल का भिलाई इस्पात संयंत्र, भारतीय रेलवे के दिन-प्रतिदिन के संचालन का एक अभिन्न अंग बन चुका है। सेल-बीएसपी ने भारतीय रेलवे के कड़े स्पेसिफिकेशनों के अनुसार विश्व स्तरीय रेलों की रोलिंग की है। सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र, जो छह दशकों से अधिक समय से भारतीय रेलवे के लिए विभिन्न ग्रेड, गुणवत्ता, प्रोफाइल और लंबाई के वांछित स्पेसिफिकेशन के अनुसार विश्व स्तरीय गुणवत्ता वाली रेल का उत्पादन कर रहा है, अब वर्तमान में रेलवे को नए 60 ई-1 प्रोफाइल के साथ नए आर-260 ग्रेड रेल का उत्पादन और आपूर्ति कर रहा है।

इस कड़ी में सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के यूनिवर्सल रेल मिल ने 04 फरवरी, 2022 को 60 ई-1 प्रोफाइल के साथ आर-260 ग्रेड रेल के 361 ब्लूम्स की रोलिंग कर दैनिक उत्पादन का नया कीर्तिमान स्थापित किया है जो कि 02 अगस्त, 2021 को स्थापित 359 ब्लूम्स की रोलिंग के दैनिक उत्पादन से कहीं अधिक है। 04 फरवरी, 2022 को कायम दैनिक उत्पादन के रिकॉर्ड के साथ-साथ इन रेल्स के इंस्पेक्शन में 95.55 प्रतिशत स्वीकृति दर प्राप्त कर स्वीकृति का भी एक नया कीर्तिमान स्थापित करने में कामयाब हुआ है। इस नये कीर्तिमान ने इससे पूर्व 23 जुलाई, 2021 को दर्ज, स्वीकृति दर 95.4 प्रतिशत के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ा।

विदित हो कि भारतीय रेलवे रेल परिवहन में उच्च गति और एक्सल लोड की ओर बढ़ रहा है जिसके लिए रेलवे ने सेल से माइक्रो-अलॉय रेल स्टील का उत्पादन करने की मांग की है। इसी आवष्यकता को पूरा करने हेतु सेल-बीएसपी ने नए आर-260 ग्रेड रेल के उत्पादन पर विशेष ध्यान केन्द्रित किया है जिससे इस रेल को उच्च यील्ड स्ट्रेंथ प्रदान किया जा सके। 60 ई-1 प्रोफाइल के साथ आर-260 ग्रेड की रेल यूरोपीय स्पेसिफिकेषन ईएन-13674 से कहीं अधिक उच्च गति और अधिक एक्सल लोड लेने के लिए सक्षम है।

सेल-भिलाई को इस बात पर गर्व है कि रेलवे को आपूर्ति किए जाने वाले रेल स्टील में हाइड्रोजन की मात्रा वैश्विक मानकों के न केवल अनुरूप है बल्कि कहीं-कहीं बेहतर है। नया आर-260 ग्रेड न केवल स्वच्छ स्टील सुनिश्चित करता है बल्कि बेहतर यांत्रिक गुण भी प्रदान करता है। सेल-भिलाई द्वारा आपूर्ति की जा रही इस नए ग्रेड की रेल, भारतीय रेलवे को उच्च शक्ति वाले तथा अधिक सर्विस लाइफ वाले रेल की उपलब्धता सुनिश्चित कर रेल्वे को बढ़ते यातायात दबाव का सामना करने हेतु सक्षम बनाएगी। साथ ही साइकिल टाइम में और अधिक वृद्धि होगी।

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