राज्य

सपा का मोदी लहर में भी रहा कब्जा

कन्नौज
यूपी में विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही हर सीट पर दावे शुरू हो गए हैं। दुनिया भर में अपने खुशबू के कारोबार के लिए पहचान रखने वाली इत्रनगरी कन्नौज को सुगंध की राजधानी भी कहा जता है। सम्राट हर्षवर्द्धन के विशाल साम्राज्य की राजधानी का रुतबा रखने वाला यह शहर अब भी सियासी गलियारे में राजधानी का ही रुतबा रखता है। जिला बनने के बाद कन्नौज की सदर सीट पर हर चुनाव में समाजवादी पार्टी को ही कामयाबी मिली है। पिछले चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जबरदस्त लहर के बावजूद सपा अपने इस मजबूत किले को बचाने में कामयाबी रही थी। कन्नौज जिले के तीन विधानसभा सीट में से सदर सीट एससी वर्ग के लिए आरक्षित है। आजादी के बाद हुए पहले चुनाव में यहां कांग्रेस के कालीचरण टंडन चुनाव जीते थे। उसके बाद 1957 से यह सीट रिजर्व हो गई। उसके बाद के हुए परिसीमण में इसका आरक्षण नहीं बदला। पहले फर्रुखाबाद जिले का हिस्सा रही यह सीट 1997 में कन्नौज के जिला बनने के बाद भी उसी वजूद पर कायम है। जिला बनने के पहले यहां से कांग्रेस का दबदबा हुआ करता था। बीच-बीच में भाजपा और जनता दल ने भी इस पर कब्जा जमाया।  पिछले चुनाव में सपा के अनिल दोहरे को जीत मिली थी। उन्हें 99635 मत मिले थे। भाजपा के बनवारी लाल दोहरे उपजेता रहे थे।

कानपुर के पुलिस कमिश्नर रहे असीम अरुण बीजेपी से दावेदार
कानपुर के पुलिस कमिश्नर रहे असीम अरुण के भाजपा के टिकट से कन्नौज सदर सीट से चुनाव लड़ने की चर्चा है। हालांकि उनके टिकट की अभी अधिकारिक रूप से ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन यह तय माना जा रहा है कि वह कन्नौज सीट से ही दावेदारी करेंगे। ऐसा हुआ तो न सिर्फ कन्नौज सीट पर बल्कि यहां की बाकी दोनों सीट पर भी इसका असर पड़ सकता है। यहां से इस बार टिकट की दावेदारी करने वाले व महीनों से तैयारी करने वाले भाजपा के धुरंधरों को इससे गहरा झटका लग सकता है। पिछली बार इस सीट से भाजपा के पूर्व विधायक बनवारी लाल दोहरे चुनाव लड़े थे। उन्हें शिकस्त मिली थी। इस बार भी उन्हें ही सबसे बड़ा दावेदार माना जा रहा था।

कन्नौज विधानसभा सीट से जुड़े रोचक तथ्य:
-आजादी के बाद से हुए पहले चुनाव से ही यह सीट अस्तित्व में है।
-कन्नौज सदर सीट पर पिछले लगातार चार चुनाव से सपा को मिल रही कामयाबी
-मौजूदा विधायक अनिल दोहरे और भाजपा के बनवारी लाल दोहरे लगा चुके हैट्रिक
-सपा विधायक अनिल दोहरे के पिता बिहारी लाल दोहरे भी तीन बार रह चुके विधायक
-बसपा को इस सीट पर कभी कामयाबी नहीं मिली है, 2007 और 2012 में रनर रह चुके हैं प्रत्याशी
-निर्दलीय और महिला उम्मीदवार को कभी नहीं मिल सका है विधायक बनने का मौका
-1985 में आखिरी बार कांग्रेस को कामयाबी मिली थी, मौजूदा विधायक के पिता बने थे विधायक
-1996 के बाद से इस सीट पर जीत के लिए जद्दोजहद कर रही है भारतीय जनता पार्टी

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Chcete se dozvědět tajemství úspěšného pěstování zeleniny na zahradě? Nebo potřebujete tipy na rychlé a chutné recepty? Navštivte náš web plný užitečných rad a lifestylových triků pro každodenní život. Zde najdete inspiraci pro zdravé jídlo, praktické nápady pro domácnost a mnoho dalších užitečných informací. Připojte se k naší komunitě a objevte nové možnosti pro zlepšení kvality života! Jak se v ložnici hromadí tolik Černý chléb na dietě: Maliny se Polstar: Tajný nepřítel, proč se Siamská kočka a čokoláda: Proč 5 znamení, že se vám Lesklá kuchyně: Září bez šmouh - Tajemství dokonalé čistoty Jak zhubnout 6 kilogramů za Vyzkoušejte tyto užitečné triky pro každodenní život a objevte nové recepty pro vaření. Naše články o zahradničení vám pomohou vytvořit dokonalou zahradu. Získejte užitečné rady a tipy, které vám usnadní každodenní život.