मां का मंगलसूत्र बेच चालान भरने आया युवक, एआरटीओ ने मजबूरी देखी तो खुद जमा कराई रकम; टेम्पो का इंश्योरेंस भी कराया
महाराजगंज
कानून मजबूरी और लाचारी नहीं देखता। कानून की जद में जो आ जाएगा, उसे उसका परिणाम भुगतान ही पड़ेगा। अधिकारी-कर्मचारी भी नियम-कानून में बंधे होते हैं। बुधवार को एआरटीओ कार्यालय में एक ऐसी घटना घटी, जिसने सभी को झकझोर कर रख दिया। चालान की रकम चुकाने के लिए पिता द्वारा बेचे गए मां के मंगलसूत्र की रकम लेकर एक युवक एआरटीओ कार्यालय पहुंचा। पूरी दास्तां सुनने के बाद एआरटीओ आरसी भारतीय भावुक हो गए।
उन्होंने अपनी जेब से गाड़ी का इंश्योरेंस कराया और चालान की रकम भी खुद जमा की। पढ़ने के लिए कुछ नकदी भी दी। बहनों की शादी में मदद करने का भरोसा दिया। बुधवार को दोपहर दो बजे रहे थे। एआरटीओ रमेश चंद्र भारतीय अपने कार्यालय में बैठकर कामकाज निपटा रहे थे। उसी दौरान एक युवक पहुंचा। सिंहपुर ताल्ही गांव का रहने वाला विजय नाम का युवक एआरटीओ को देखते ही फफक कर रोने लगा। एआरटीओ ने उसे सम्मान पूर्वक कुर्सी पर बिठाकर पहले पानी पिलाया। एआरटीओ को बताया कि उसके पिता टेम्पो चलाकर परिवार का भरण पोषण करते हैं। आठ जून को आप द्वारा गाड़ी का चालान कर दिया गया था। गाड़ी को सीजकर पुरंदरपुर थाने में भेज दिया गया है। इसमें 24,500 रुपये का चालान काटा गया है। पूरा पैसा नहीं हो पाया है। पिता ने मां का मंगल सूत्र बेचकर किसी तरह से 13000 रुपये जुटाए हैं। इसे जमा कर लीजिए। बाकी रकम के लिए कुछ जमीन है, बेचने के लिए ग्राहक ढूंढ रहे हैं। जमीन बिक जाएगी तो बाकी रकम को भी जमा कर देंगे। मंगलसूत्र बिकने की बात सुनकर एआरटीओ की आखें भी डबडबा गईं। उन्होंने परिवार के अन्य लोगों के बारे में पूछा तो युवक ने बताया कि घर में छह बहनें हैं। पांच बहनों की शादी करनी है। बहनों की शादी के लिए पढ़ाई छोड़कर खुद मजदूरी करनी शुरू कर दी है।
मां को दो मंगलसूत्र, पिता से कहना खेत न बेचें
एआरटीओ ने कहा कि जो पैसे लाए हो उसे लेकर जाओ व मंगलसूत्र छुड़ा कर मां को दे देना। पिता को बताना कि वह खेत न बेचें। उन्होंने अपने पास से 17 हजार रुपये युवक को दिया। कहा कि तुम पढ़ाई करो। युवका का मोबाइल नंबर लेकर और खुद का नंबर देकर कहा और जरूरत पड़े तो बताना। जब बहनों की शादी करना तो बताना। एआरटीओ ने युवक की गाड़ी के चालान की रकम को खुद जमा किया। साथ ही गाड़ी का इंश्योरेंस कराया।
हम सभी को एक-दूसरे की मजबूरी का समझना चाहिए। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि नियम कानून से हटकर काम किया जाए। जो युवक कार्यालय में आया था उसकी गाड़ी का नियम और कानून के तहत चालान किया गया था। उस समय हमने अपने विभागीय दायित्वों का निर्वहन किया था। नियम व कानून ने अपना काम किया था। किसी मां का मंगलसूत्र बिकना दुखदायी है।
आरसी भारतीय, एआरटीओ